लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में तैनात एक बाबू द्वारा फर्जीवाड़ा करके प्रशासनिक पद पर तैनाती हासिल करने का मामला सामने आया है। जहां तथ्यों को छुपाकर कैंसर संस्थान में प्रशासनिक पद पर तैनाती हासिल करने का खुलासा हुआ। मामले की शिकायत मिलने के बाद जांच कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। केजीएमयू प्रशासन के अनुसार, रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी।

पोस्ट के लिए जरूरी अनुभव नहीं

केजीएमयू में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ सहायक पद पर तैनात कर्मी पर आरोप है कि उसने तथ्यों को छुपाकर प्रशासनिक पद पर अपनी तैनाती करवा ली, जबकि उसकी प्रधान सहायक और प्रशासनिक अधिकारी के पद पर अभी तक पदोन्नति नहीं हुई है। न ही इन पदों पर कर्मचारी को काम करने का कोई अनुभव है।

केजीएमयू के प्रावधान में ही नहीं

केजीएमयू में वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, वरिष्ठ सहायक के पश्चात प्रधान सहायक और उसके बाद प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात होने का प्रावधान है। पर आरोपी कर्मचारी के पास ऐसा कोई अनुभव नहीं था। विज्ञापित किए गए पद के समतुल्य उनका अनुभव नहीं है। ऐसे में वह विज्ञापन में वांछित योग्यता को पूर्ण नहीं करते है, जिसके बाद दूसरे संस्थान में कर्मचारी की तैनाती सही नहीं पाई गई, क्योंकि तय नियमों का पालन नहीं किया गया था।

तीन सदस्यीय जांच कमेटी

मामले की शिकायत मिलने के बाद तत्कालीन कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी द्वारा जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। जिसमें उप-कुलसचिव की अध्यक्षता में वित्त एवं लेखाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी कुलपति कार्यालय की समिति बनाई गई थी। समिति को कर्मचारी द्वारा आवेदन के लिए दी गई गलत जानकारियों के प्रति जांच करने के लिए निर्देशित किया गया था। जिसके बाद जांच में विज्ञापित पद के लिए गलत सूचना देने का आरोप सही पाया गया। समिति ने आगे की कार्रवाई के लिए जांच रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि, कर्मचारी द्वारा सभी योग्यता को पूर्ण करने के बाद ही आवेदन करने की बात कही गई है।