लखनऊ (ब्यूरो)। हजरतगंज में जनपथ स्थित मिनी सचिवालय (विकास भवन) एलडीए को वापस मिलेगा। प्राधिकरण ने मात्र एक रुपये के सालाना टोकन मनी पर यह बिल्डिंग राज्य सम्पत्ति विभाग को दी थी, जिसमें विभन्न सरकारी विभागों के कार्यालय संचालित थे। अब जब अधिकांश कार्यालय अन्य जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं तो राज्य सम्पत्ति विभाग इसे वापस एलडीए को सौंपने जा रहा है। शहर के मध्य स्थित इस बेशकीमती बिल्डिंग का उपयोग कैसे करना है, इस पर निर्णय लेने के लिए प्राधिकरण के वीसी अक्षय त्रिपाठी ने रविवार को यहां का निरीक्षण किया।

आठ मंजिला है बिल्डिंग

वीसी अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि 1003 वर्गमीटर क्षेत्रफल में विकास भवन का निर्माण कराया गया था। इस आठ मंजिला बिल्डिंग का कारपेट एरिया लगभग सात हजार वर्गमीटर है। इसके बेसमेंट, भूतल व बाहरी परिधि में 175 दुकानें, शोरूम व गोदाम बने हैं, जिन्हें लोगों को 90 साल की लीज पर आवंटित कर दिया गया था। वहीं, बिल्डिंग का बाकी हिस्सा वर्ष 1978 में राज्य सम्पत्ति विभाग को किराये पर दे दिया गया, जबकि इसका मेंटीनेंस प्राधिकरण द्वारा ही किया जाता रहा। किराया न मिलने पर प्राधिकरण द्वारा 2 अप्रैल 2009 को इसे राज्य सम्पत्ति विभाग को एक रुपये के सालाना टोकन मनी पर दे दिया गया था। बोर्ड बैठक में लिए गये इस निर्णय में यह शर्त रखी गयी कि राज्य सम्पत्ति विभाग बिल्डिंग का मेंटीनेंस करेगा, जबकि इस पर स्वामित्व एलडीए का ही रहेगा। बाद में राज्य सम्पत्ति विभाग द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों को इस बिल्डिंग में कार्यालय के लिए जगह दी गई और इसे मिनी सचिवालय के रूप में जाना जाने लगा।

बिल्डिंग का उपयोग तय किया जाएगा

वीसी ने बताया कि मौजूदा समय में राज्य निर्वाचन आयोग को छोड़कर शेष सभी सरकारी विभागों के कार्यालय बापू भवन और एनेक्सी समेत अन्य जगहों पर शिफ्ट हो चुके हैं। ऐसे में शासन द्वारा खाली हो चुकी इस बिल्डिंग को वापस प्राधिकरण को हैंडओवर करने और भविष्य में इसके उपयोग पर निर्णय लेने के निर्देश दिए गए हैं। आगामी 9 जून को इसके संबंध में शासन में बैठक होनी है। बिल्डिंग की पहली मंजिल से लेकर सातवें तल तक कार्यालय खुले थे, जबकि टॉप फ्लोर पर कैंटीन बनी है। निरीक्षण में यह देखा गया कि कितने फ्लोर पूरी तरह से खाली हो चुके हैं और वहां कब्जा लेने के निर्देश दिए गए। वीसी ने बताया कि बिल्डिंग हजरतगंज के प्राइम लोकेशन पर है और इसकी मार्केट वैल्यू काफी ज्यादा है। बिल्डिंग के बेहतर व्यावसायिक उपयोग के लिए इसे नये कलेवर में ढालने की आवश्यकता है, जिसके लिए इसे आधुनिक तकनीक से री-मॉडल करने का प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है।