- एलयू अपने कई म्यूजियम आम लोगों के लिए खोलेगा

LUCKNOW : एलयू सोमवार को अपने सौ वें वर्ष में प्रवेश करेगा। शताब्दी वर्ष की शुरुआत के मौके पर पहली बार यूनिवर्सिटी प्रशासन आम लोगों के लिए ऐतिहासिक म्यूजियम खोलेगा। भू.विज्ञान के म्यूजियम में जहां 35 हजार साल पुराने हाथी के दांत देखने का मौका मिलेगा। वहीं हजारों साल पुराने खनिज, जीवाश्म सहित तमाम चीजें भी देखी जा सकेंगी। भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं उत्तरी ध्रुव पर जाने वाले पहले भारतीय प्रो। धु्रव सेन सिंह बताते हैं कि विभाग में म्यूजिम की शुरुआत 1943 में हुई थी।

निकाली जाएगी प्रभात फेरी

शताब्दी वर्ष की शुरुआत सुबह 6:45 बजे प्रभात फेरी से होगी। लोगों को यूनिवर्सिटी का इतिहास बताने लिए मालवीय सभागार के बाहर चित्रों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

प्रदर्शनी और कवि सम्मेलन

शताब्दी वर्ष की तैयारी सिर्फ प्रदर्शनी और कवि सम्मेलन तक ही सीमित रह गई है। यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी प्रो। एसपी सिंह ने शताब्दी वर्ष के लिए साल भर तक प्रोग्राम के लिए कमेटी बनाई थी। लेकिन 11 नवंबर को उनका कार्यकाल खत्म हो गया। उसके बाद कुलसचिव एसके शुक्ला को वीसी बनाया गया। फिर भी 10 दिन में तैयारियों पर कोई विशेष योजना नहीं बन गई। आनन फानन में नई कमेटी बनाकर 25 नवंबर के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली गई।

जारी होगा लोगो

एलयू शताब्दी वर्ष पर लोगो जारी करेगा। इसके लिए रविवार को दोपहर दो बजे तक लोगो बनाकर ईमेल के जरिए मांगा गया था। कला एवं शिल्प महाविद्यालय के डीन डॉ। संजीव किशोर गौतम ने बताया कि बीएचयू, एसएमयू, एलयू और डीयू सहित कई जगह से लोगो बनाकर भेजे गए हैं। तीन सर्वश्रेष्ठ शताब्दी वर्ष लोगो को यूनिवर्सिटी की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा। एक लोगो शताब्दी वर्ष पर जारी किया जाएगा।

1864 में शुरू हुआ था सफर

एलयू की नींव एक मई 1864 को हुसैनाबाद में कैनिंग कॉलेज के रूप में हो गई थी। हुसैनाबाद कोठी में अस्थायी स्कूल के रूप में शुरू होकर अमीनाबाद, कैसरबाग, लालबारादरी के बाद 25 नवंबर 1920 को कैनिंग कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला था। यहां 17 जुलाई 1921 को अंडर ग्रेजुएट की पढ़ाई शुरू हो गई थी। यूनिवर्सिटी की स्थापना से पहले कैनिंग कॉलेज कलकत्ता यूनिवर्सिटी और उसके बाद इलाहाबाद अब प्रयागराजद्ध यूनिवर्सिटी से संबद्ध था। आचार्य नरेंद्र देव और राधाकमल मुखर्जी जैसे महान शिक्षकों वाली इस यूनिवर्सिटी में पूर्व राष्ट्रपति डॉ। शंकर दयाल शर्मा, पूर्व न्यायाधीश एएस आनंद, पूर्व डीजीपी अतुल, गायक अनूप जलोटा, डॉक्टर नरेश त्रेहन, पूर्व राज्यपाल सैय्यद सिब्ते रजी, झारखंड के राज्यपाल सैय्यद अहमद, राजनेता हरीश रावत, पंजाब के मुख्यमंत्री सुरदीप बरनाला तमाम छात्रों ने यूनिवर्सिटी का मान देश-विदेश में बढ़ाया।

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10 नवंबर 1919 का महत्व

10 नवंबर 1919 को हुई एक बैठक में कैनिंग कॉलेज को आवासीय यूनिवर्सिटी बनाने का फैसला लिया गया। 12 अगस्त 1920 में कुंवर महाराजा सिंह ने विधान परिषद में एलयू बिल रखा। संशोधन के बाद 8 अक्टूबर 1920 को इसे पारित कर दिया गया। उस समय राजा महमूदाबाद और जहांगीराबाद ने एक.एक लाख रुपये की धनराशि इसके निर्माण के लिए दी। ताल्लुकेदारों ने 30 लाख रुपए चंदा इकठ्ठा किया था।