लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के लोगों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। पीजीआई में भर्ती एक मात्र कोरोना मरीज की रिपोर्ट मंगलवार को निगेटिव आते ही करीब 33 महीने के बाद राजधानी पूरी तरह से कोरोना वायरस से मुक्त हो गई है।

11 मार्च 2020 को दस्तक

11 मार्च 2020 को लखनऊ में कोरोना वायरस ने उस वक्त दस्तक दी थी, जब गोमतीनगर निवासी महिला डॉक्टर में वायरस मिले थे। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पूरे लखनऊ में हड़कंप मच गया था। उसके बाद से लगातार कोरोना ने कोहराम मचाया था।

2701 मरीज की मौत

कोरोना वायरस अब तक 2701 मरीज की जान ले चुका है। वायरस ने सबसे ज्यादा 25 से 45 साल के लोगों को शिकार बनाया। जबकि मृत्यु 50 साल से अधिक उम्र के लोगों की हुई। राहत तब मिली, जब कोरोना वैक्सीन आई। उसके बाद से डेथ रेट में खासी गिरावट देखने को मिली। अब तक तीन लाख छह हजार 403 नमूनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। 74 लाख 59 हजार 915 नमूनों की जांच हो चुकी है। सीएमओ डॉ। मनोज अग्रवाल ने बताया कि डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की मेहनत रंग लाई है। कोरोना पेशेंट के उपचार के दौरान कई बार डॉक्टर व कर्मचारी खुद पॉजिटिव हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने डोर टू डोर सैंपल लिए और मेडिसिन भी पहुंचाई।

24 घंटे हुआ संचालन

जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी योगेश रघुवंशी के मुताबिक कोविड कंट्रोल रूम का संचालन 24 घंटे हुआ। यहीं से ही मरीजों को अस्पताल आवंटित किए जा रहे थे। 81 से अधिक सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में कोविड मरीजों की भर्ती के इंतजाम किए गए थे। ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई। वेंटिलेटर व आईसीयू की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई थी।

कोविड प्रबंधन बना मिसाल

डिप्टी सीएमओ डॉ। एपी सिंह ने बताया कि अप्रैल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को अधिक परेशान किया। हालात यह थे कि एक दिन में 6400 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इसके बावजूद दिन रात मेहनत कर डॉक्टर-कर्मचारियों ने मरीजों को जिंदगी देने में जुटे रहे। इसमें सरकारी के साथ प्राइवेट अस्पतालों ने भी अहम भूमिका अदा की।