- लिवर ट्रांसप्लांट सहित ग्रीन कॉरिडोर बना पहचान

- बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल भी कर रहे राजधानी का रुख

LUCKNOW: राजधानी में मेडिकल सुविधाओं को लेकर पिछले एक दशक में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। एक तरफ जहां गवर्नमेंट हॉस्पिटल के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के साथ टेली मेडिसिन, अपेक्स ट्रॉमा, लिवर ट्रांसप्लांट, कैंसर इंस्टीट्यूट जैसी सुविधाएं शुरू हुई वहीं मेदांता, अपोलो जैसे कॉरपोरेट हॉस्पिटल भी राजधानी में खुले। इसकी वजह से पहले जहां लोगों को अपने इलाज के लिए दिल्ली या मुंबई का रुख करना पड़ता था, वहीं अब राजधानी में ही जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज संभव हो रहा है।

1. टेली मेडिसिन सुविधा

केजीएमयू में दिसंबर 19 से टेली मेडिसिन सुविधा शुरू हुई, जिसके माध्यम से दूर-दराज के जिलों से आने वाले पेशेंट को उनके ही जिलों में इलाज की सुविधा उपलब्ध कराए जाने की सौगात मिली। योजना के तहत एक्सपर्ट डॉक्टर्स दूसरी जगह के डॉक्टर्स के साथ ऑनलाइन कनेक्ट होते हैं और अपनी एक्सपर्ट राय देते हैं ताकि नार्मल पेशेंट को बिना वजह के राजधानी आने से रोका जा सके। केवल गंभीर पेशेंट ही इलाज के लिए आयें।

2. अपेक्स ट्रॉमा, पीजीआई

लगभग दौ सौ करोड़ की लागत से बने अपेक्स ट्रॉमा सेंटर की शुरुआत 31 जुलाई 2018 में 66 बेड के साथ हुई। कैज्युल्टी में 16, आईसीयू में 6 और 38 जनरल वार्ड और चार प्राइवेट वार्ड में बेड हैं। यहां पर इस समय एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। इसके साथ ही न्यूरो सर्जन, ईएनटी सर्जन, डेंटल सर्जन, ऑर्थो सर्जन, ट्रॉमा सर्जन, एनेस्थेसिया समेत कई विशेषज्ञ हर समय मौजूद रहते हैं।

3. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

राजधानी में केजीएमयू, सिविल, बलरामपुर, लोहिया संस्थान सहित अन्य गवर्नमेंट हॉस्पिटल में पहले ऑफ लाइन पर्चा बनाया जाता था, लेकिन बाद ऑनलाइन पर्चा बनाने के साथ डिजिटल डिस्पले की सुविधा शुरू की गई। इससे समय की बचत के साथ पेशेंट संबंधी सभी जानकारी ऑनलाइन है। हालांकि सर्वर खराब होने पर ऑफ लाइन सुविधा भी दी जाती है।

4. ग्रीन कॉरिडोर

इमरजेंसी में किसी मरीज के इलाज के लिए ग्रीन कॉरिडोर मानव अंग को एक निश्चित समय के अंदर एक जगह से दूसरे जगह भेजने के लिए बनाया जाता है। इसमें हॉस्पिटल, ट्रैफिक और एयरपोर्ट आदि की मदद ली जाती है। दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में मौजूद ग्रीन कॉरिडोर की सुविधा अब राजधानी में भी मिल रही है। पहला ग्रीन कॉरिडोर अप्रैल 2016 में केजीएमयू की ओर से लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली भेजा गया था। इसके बाद उन्नाव रेप पीडि़ता सहित अन्य ट्रांसप्लांट के वक्त कई बार ग्रीन कॉरिडोर बन चुके हैं।

5. लिवर ट्रांसप्लांट

केजीएमयू ने साल 2019 मार्च में पहला लिवर ट्रांसप्लांट करके एक नया इतिहास रचा था। आमतौर पर प्राइवेट हॉस्पिटल में होने वाला ट्रांसप्लांट बेहद ही खर्चीला होता है। ऐसे में केजीएमयू ने कम खर्च में ट्रांसप्लांट करके पेशेंट को राहत देने का काम किया गया। तब से लेकर अभी तक केजीएमयू 8 सफल लिवर ट्रांसप्लांट कर चुका है। यहां अभी तक 6 लाइव और 2 कैडवरिक लिवर ट्रांसप्लांट हो चुके हैं, जो मेडिकल क्षेत्र में एक मील का पत्थर बन चुका है।

6. सस्ती दर पर दवायें

इलाज के साथ दवाओं का खर्च भी सबसे ज्यादा होता है। राजधानी में बलरामपुर और सिविल जैसे हॉस्पिटल में पेशेंट को दवायें फ्री में मिलती हैं। इसके साथ कई सर्जिकल आइटम भी कम रेट में मिलते हैं। इसके अलावा केजीएमयू में भी सस्ती दरों पर दवाई और सर्जिकल आइटम देने के लिए हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड यानि एचआरएफ सुविधा शुरू की गई है, जहां करीब 80 परसेंट तक की छूट पर सामान मिलता है, जिससे गरीब लोगों पर दवाओं का खर्च काफी कम हो जाता है।

7. सुपर स्पेशियलिटी विंग

करीब सौ वर्ष से पुराने केजीएमयू में हाल ही में सुपर स्पेशियलिटी विंग बनाते हुये शताब्दी फेज-1 की शुरुआत करने के बाद शताब्दी फेज-2 भी शुरू किया गया है, जहां गेस्ट्रो, एंडोक्राइज सर्जरी, ट्रांसफ्यूजन, रेडियोथेरेपी, आंकोलॉजी, क्लीनिकल हेमेटोलॉजी, गेस्ट्रो सर्जरी व न्यूरो सर्जरी सहित अन्य सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं शुरू की गई हैं। यहां आने वाले पेशेंट को किसी प्राइवेट हॉस्पिटल के समान ही मेडिकल सुविधाएं और इलाज मिलता है।

8. लोहिया संस्थान के विलय से बढ़ी सुविधाएं

गोमतीनगर स्थित लोहिया संयुक्त हॉस्पिटल और लोहिया संस्थान का विलय सितंबर 2019 में पूरा हुआ, जिसके बाद सुपर स्पेशियलिटी की सुविधायें सभी पेशेंट को एक ही जगह मिलने लगी। दोनों हॉस्पिटल का विलय होने से बेड की संख्या भी 817 हो गई है। संयुक्त अस्पताल का नया नाम हॉस्पिटल ब्लॉक रखा गया। यहां मेडिसिन, जनरल सर्जरी, आर्थोपेडिक, टीबी एंड चेस्ट, मानसिक रोग सहित 12 विभाग हैं। इसके साथ इमरजेंसी सेवाओं को भी बढ़ाया जा रहा है।

9. मातृ-शिशु रेफरल हॉस्पिटल

शहीद पथ स्थित 200 बेड वाला मातृ-शिशु रेफरल हॉस्पिटल 2017 में 60 बेड के साथ शुरू किया गया। इसके बाद यहां ओपीडी के साथ ऑपरेशन की भी सुविधा शुरू की गई। डॉ। राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के तहत संचालित हो रहा है। यहां संस्थान में अबतक चल रहे बाल रोग विभाग के बाद स्त्री एवं रोग विभाग को भी शिफ्ट किया जायेगा। ताकि सभी सुविधाएं एक ही जगह मिल सके।

10. कैंसर संस्थान

राजधानी में चक गजरिया में करीब 850 करोड़ की लागत से 75 एकड़ में एशिया का सबसे बड़ा कैंसर इंस्टीट्यूट भी बन रहा है। जो मार्च 2020 तक शुरू होने की उम्मीद है। इसके खुलने से कैंसर पेशेंट को दिल्ली या मुंबई की ओर भटकने की जरूरत नहीं है। करीब 56 बेड और दो ओटी के साथ इसको शुरू किया जायेगा। संस्थान वैसे 550 बेड, 24 ओटी के साथ बन रहा है। फिलहाल यहां दो ओटी, ओपीडी ब्लाक के साथ लिनेक मशीन, सीटी स्कैन, एक्सरे मशीन आ चुकी है। आयुष्मान योजना भी पहले दिन से मिलेगी। तो वहीं डे केयर के साथ एटीएम की भी सुविधा दी जायेगी। पेशेंट को एचआरएफ के तहत सस्ती दरों पर दवायें भी मिलेंगी।