लखनऊ (ब्यूरो)। इसीके साथ हजरत अली की शहादत की याद में तीन दिन से चल रहा गम का सिलसिला खत्म हो गया। जुलूस के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे। 19वीं रमजान को जब हजरत अली नमाज पढऩे के दौरान सजदे में थे, तो अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम ने उनके सिर पर जहर बुझी तलवार से वार किया था। जिससे वह जख्मी हो गये थे और 21वीं रमजान को उनकी शहादत हो गयी थी। इसी सिलसिले में रौजा, शबीह नजफ में मौलाना यासूब अब्बास ने अलविदायी मजलिस को खिताब किया। मजलिस के बाद महिलाओं ने ताबूत को पुरुषों को सौप दिया। ताबूत रौजे नजफ से बाहर आते ही अजादारों में कोहराम मच गया पूरा माहौल गमगीन हो गया। हर आंख आंसुओं से लबरेज थी। कोई सर ओ सीना पीट रहा था। इसके बाद ताबूत रौजे से अपनी मंजिल कर्बला तालकटोरा के लिए रवाना हुआ। जुलूस में लोग हजरत अब्बास के अलम लिए चल रहे थे।

घरों में किया महिलाओं ने मातम
शहर के तमाम इलाकों में जगह-जगह मजलिस ओ मातम का आयोजन किया गया। जहां सुबह से ही लोग काले लिबास पहने हुए एक मजलिस से दूसरी मजलिस में शिरकत कर रहे थे। वहीं महिलाओं ने घरों में नौहाख्वानी व मातम किया। इस मौके पर 18 रमजान को लोगों ने अपने घरों में रखे ताबूतों को भी उठाया जिन्हें काजमैन में दफन किया गया।

नज्रों का आयोजन
हजरत अली की शहादत की याद में मगरिब की नमाज के बाद शहर के इमामबाड़ों, कर्बलाओं व घरों में खड़ी मसूर की दाल व चावल पर नज्रों का भी आयोजन किया गया। रोजा अफ्तार के बाद घर के बुजुर्गों ने नज्रे मौला अली दी और उसके बाद नज्र चखी गई।

आमाल-ए-शबे कद्र आज
रमजान मुबारक के आखरी सप्ताह की इबादत अपने पूरे शबाब पर है। मंगलवार को शबे कद्र के मौके पर को लोग पूरी रात अल्लाह की इबादत में गुजारेंगे। जगह-जगह अमाल-ए-शबे कद्र का आयोजन के साथ छह दिन की कजा नमाजे भी अदा करेंगे। जहां पुरूष मस्जिदों में अमाल करेंगे वहीं महिलाएं घरों आमाल करेंगी और छह दिन की कजाए उम्री नमाजे पढ़ेंगी। शबे कद्र के मौके पर मस्जिदों में इफ्तारी के साथ-साथ सहरी के विशेष इंतजाम किये गये हैं।