लखनऊ (ब्यूरो)। पावर कारपोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों के लिए एक आदेश जारी किया है। जिसमें साफ है कि सभी स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों को मीटर में लगने वाले टेलीकॉम प्रोडक्ट गेटवे ट्रैकिंग डिवाइस पर एक जनवरी 2024 से एक अप्रैल 2024 बीच मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन ऑफ टेलीकॉम इक्विपमेंट लेना जरूरी होगा। जिससे यह पता लग सकेगा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर से निकलने वाले रेडियो उत्सर्जन तरंगे कहीं आम जनमानस पर बुरा प्रभाव तो नहीं डाल रही हैं। उपभोक्ता परिषद लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था।

घरों में नहीं लगाया जा सकता

उक्त आदेश में साफ है कि टेलीकॉम उपकरणों की टेस्टिंग कराए उसे उपभोक्ताओं के घर में नहीं लगाया जा सकता। सभी को पता है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कम्युनिकेशन के लिए किसी भी मोबाइल की सिम लगती है, मॉडम लगता है और वह इसके बाद ऑटोमेटिक तरीके से काम करना शुरू करता है। स्मार्ट मीटर लगने के बाद उससे निकलने वाली रेडियो तरंगों से कोई खराब प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है, सिक्योरिटी सिस्टम ठीक है और नेटवर्किंग सिस्टम गाइडलाइन के तहत है, इन सबको उक्त सर्टिफिकेशन से परखा जा सकेगा। जिससे साफ है कि उपभोक्ताओं के घरों में घटिया क्वालिटी के मीटर नहीं लग पाएंगे।

उपभोक्ता भुगतते हैैं खामियाजा

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि स्मार्ट मीटर कंपनियां घटिया क्वालिटी के मीटर बना रही हैैं और कमीशन के चक्कर में चाइनीज मॉडम डिवाइस चिप लगा रही हैैं। इसका खामियाज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है। अब जब सभी मीटर निर्माता कंपनियों को अपने टेलीकॉम प्रोडक्ट की टेस्टिंग करनी पड़ेगी, तब खुद ही यह पता लग जाएगा कि स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी द्वारा मीटर के अंदर लगने वाली चिप और मॉडम घटिया क्वालिटी का तो नहीं है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा इस सर्टिफिकेशन से यह भी सिद्ध हो जाएगा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की यदि तकनीकी पुरानी होगी तो क्या वह भारतीय मानक के अनुसार सुरक्षित है अथवा नहीं। इससे जो पुरानी तकनीकी 2जी, 3जी और 4जी की बात चल रही है, उस पर भी बहुत कुछ स्थिति स्पष्ट हो जाएगी फिर मीटर निर्माता कंपनियों को 5जी तकनीकी पर जाना ही होगा। जिसका सीधा फायदा प्रदेश के उपभोक्ताओं को मिलेगा।