लखनऊ (ब्यूरो)। उप्र पर्यटन विभाग द्वारा प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हेरिटेज पॉलिसी लाई गई है। इसके तहत पुराने महल, हवेलियों और धरोहरों को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया जाना है। इसके पहले चरण के तहत राजधानी की दो ऐतिहासिक इमारतों में काम पूरा हो चुका है। पर सरकार से अनुमति न मिलने के कारण अभी इनकी शुरुआत नहीं हो सकी है। अधिकारियों के मुताबिक, शासन से जल्द ही हरी झंडी मिल जाएगी।

नहीं मिली सरकारी मंजूरी

पर्यटन विभाग की ओर से विरासत भवनों को निजी क्षेत्र के सहयोग से विकसित करने के प्रयास हो रहे हैं। जिसे सफल बनाने के लिए कई विख्यात होटल समूहों ने दिलचस्पी दिखाई है। इसके पहले चरण में लखनऊ की छतर मंजिल और कोठी रौशन-उद-दौला शामिल हैं। इसके अलावा, मीरजापुर का चुनार का किला, झांसी का बरुआ सागर किला, मथुरा के बरसाना जल महल, कानपुर के शुक्ला तालाब को होटल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, बस प्रदेश सरकार की मंजूरी का इंतजार है।

दूसरे चरण में ये होंगे शामिल

दूसरे चरण में लखनऊ की गुलिस्ता-ए-इरम और कोठी दर्शन विलास को शामिल किया गया है। इसके अलावा, झांसी का तहरौली किला, महोबा का मस्तानी महल और लेक पैलेस, ललितपुर के बालाबेहट का किला, बांदा का रनगढ़ फोर्ट, आगरा स्थित अकबर की शिकारगाह किरावली, गोंडा के वजीरगंज की बरादरी और बिठूर के टिकैतराय बारादरी को हेरिटेज होटल का रूप देने की तैयारी है। इसके लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इन विरासत इमारतों को तीन श्रेणियों में बांटा है। जिसके तहत न्यूनतम निवेश धनराशि 30 करोड़, 50 करोड़ और 100 करोड़ रुपये तय की गई है। इन धरोहर भवनों में निवेश के इच्छुक निवेशकों और होटल समूहों में लीला होटल्स, इंडियन होटल्स कंपनी, ओबेराय होटल्स, हयात रीजेंसी और क्लार्क होटल जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

ये सुविधाएं शुरू हो सकेंगी

पर्यटन विभाग इन विरासत संपत्तियों में वेलनेस सेंटर, हेरिटेज होटल, रिजॉर्ट, म्यूजियम, हेरिटेज रेस्टोरेंट, बुटिक रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल एवं हॉस्पिटैलिटी यूनिट आदि का निर्माण कराएगा। इस योजना में टूरिज्म इंडस्ट्री के प्रमुख संस्थानों ने रुचि भी दिखाई है। वहीं, इप धरोहर भवनों को होटल में परिवर्तित करने के मानक तय किए जा चुके है। इनमें पुरातात्विक भवन का विन्यास यथावत रखने, मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन न करने, भवन का उपयोग उसके पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्व के अनुरूप किये जाने समेत अन्य नियम तय किए गये है। साथ ही 25 प्रतिशत स्थानीय नागरिकों को रोजगार प्रदान किया जाना शामिल है।

आचार संहिता लगने के कारण कैबिनेट से अप्रूवल होना बाकी है। उम्मीद है कि जून के आखिर में शासन से अनुमति मिल जाएगी।

मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति