लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डा। डी हिमांशु ने बताया कि बीपी को वैसे भी साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण देर से सामने आते हैं। ऐसे में हाई व लो बीपी में तो दवा शुरू करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन बार्डर लाइन बीपी की समस्या धीरे धीरे बढ़ती है। शुरुआत में तो इसका पता ही नहीं चलता है लेकिन जब समस्या बढ़ जाती है तो मरीज डाक्टर के पास जाता है। लंबे समय तक यदि ऐसी स्थिति बनी रहती है तो इसका सीधा असर किडनी और हार्ट पर भी पड़ता है।

नमक का सेवन कम करें
डा। डी हिमांशु के मुताबिक वैसे तो नार्मल बीपी नीचे का 80 और ऊपर का 120 माना जाता है। बार्डर लाइन वालों में यह ऊपर का 130-139 के बीच और नीचे का 80-89 के बीच मिलता है। लाइफस्टाइल में बदलाव करके और खानपान चेंज करके इसे ठीक किया जा सकता है। नमक का कम सेवन और एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी है। इससे बीपी कंट्रोल रहता है।

शुगर लेवल कंट्रोल रखें
संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग की डा। विजय लक्ष्मी भाटिया ने बताया कि अगर किसी का शुगर लेवल बार्डर लाइन पर है तो उसे विशेष सर्तकता रखनी चाहिए। बार्डर लेवल खाली पेट 100-125 के बीच और ग्लूकोज लेने के दो घंटे के बाद 140-200 के बीच के लेवल को कहा जाता है। यह समस्या अधिक दिन तक रहे तो आगे शुगर होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

ऐसे करें बचाव
डा विजय लक्ष्मी भाटिया के मुताबिक अगर आपका शुगर लेवल बार्डर लाइन पर है तो वजन न बढऩे दें। रोजाना एक्सरसाइज के साथ वाकिंग और एक्सरसाइज करनी चाहिए। एनर्जी ड्रिक्सलेने से बचें। खासतौर पर कोल्ड ड्रिंक्स, तली भुनी चीजें, मिठाई, चॉकलेट व चिकनाईयुक्त खाना न लें।

शुगर अगर बार्डर लाइन पर है तो वजन कंट्रोल करें, अधिक एनर्जी वाले ड्रिंक्स व फूड खाने से बचें। रोजाना एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए।
- डॉ विजय लक्ष्मी भाटिया, पीजीआई

लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर बार्डर लाइन पर बीपी होने से दवा लेने से बचा जा सकता है। वर्ना आगे चलकर हाई बीपी जैसी समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है।
- डॉ डी हिमांशु, केजीएमयू