- करोड़ों रुपए बकाया है वाटर और सीवर टैक्स का

- सिटी में सवा तीन लाख कनेक्शन और टैक्स 50 प्रतिशत भी नहीं देते

- 25 करोड़ से भी ज्यादा बकाया है वाटर और सीवर टैक्स

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- सिटी में सवा तीन लाख कनेक्शन और टैक्स भ्0 प्रतिशत भी नहीं देते

- ख्भ् करोड़ से भी ज्यादा बकाया है वाटर और सीवर टैक्स

LUCKNOW: lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: पानी यूज करने में लखनवाइट्स सबसे आगे है जबकि टैक्स देने में सबसे पीछे। जलकल विभाग के रिकार्ड में सिटी में करीब सवा तीन लाख कंज्यूमर्स है जबकि पचास प्रतिशत से भी कम लोग वाटर और सीवर टैक्स पे करते है। आलम यह है कि जलकल विभाग के लखनवाइट्स करोड़ों रुपए के बकाएदार हो गए है। सिटी के कई नामी स्कूल और सरकारी विभाग में इस फेरिस्त में शामिल है। जिसमें नंबर एक पर लोक निर्माण विभाग ऑफिस है जिस पर करोड़ रुपए बकाया है।

पचास प्रतिशत से भी कम दे रहे टैक्स

पानी हर किसी की जरूरत है, सिटी में पानी यूज तो हर कोई करता है, लेकिन उसके ऊपर लगाए जाने वाला कर देने में असहज महसूस करते है। सिटी में जलकल के रिकार्ड में सवा तीन लाख लोग कनेक्शन धारी है। जबकि टैक्स देने में पचास प्रतिशत से भी कम है। वाटर टैक्स, सीवर टैक्स में करोड़ों रुपए बकाए है। जलकल को बकाया रकम मिल जाए तो उससे मिलने वाली राशि से पब्लिक के डेवलपमेंट के नए काम और भी शुरू हो सकते है। सिटी में जलकल विभाग के कुल साढ़े छ सौ से ज्यादा छोटे और बड़े ट्यूब बेल लगे है जिनसे सिटी के अलग-अलग हिस्से में सप्लाई होती है।

सिटी के दस बड़े बकाएदार-

क्- लोक निर्माण विभाग- ख्फ् करोड़

ख्- लोरेंटो कॉन्वेंट ग‌र्ल्स स्कूल - म्फ् लाख

फ्- लामाटिर्नियर इंटर कॉलेज मार्टिन पुरवा - फ्7 लाख

ब्- अलहुदा गार्डन स्कूल - फ्भ् लाख

भ्- सन फ्रांसिस स्कूल शाहनजब रोड - ख्ख् लाख

म्- अवध ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज - क्फ् लाख

7- सेंट डॉमनिक सेवियो कॉलेज इंद्रा नगर - क्ख् लाख

8- लामाटिर्नियर इंटर कॉलेज (प्राइमरी सेक्शन) - क्0 लाख

9- सन टेनिक्स लोरेंटो कान्वेंट स्कूल - म् लाख

क्0- राजकुमारी बक्शी मोहम्मद बाग - ख्9 लाख

जलकल विभाग के रिकार्ड में कंज्यूमर्स - फ् लाख ख्भ् हजार

सिटी में छोटे और बड़े ट्यूब वेल

- म्90

पीडब्लूडी है बड़ा बकाएदार

चाहे घर हो, ऑफिस हो या फिर किसी तरह को कोई निर्माण कार्य हो। पानी की जरूरत हर जगह होती है। नियमानुसार निर्माण के लिए अस्थाई कनेक्शन लेने की सुविधा होती है। यहीं नहीं घरों में लगे समर सेबल का टैक्स भी जलकल विभाग को लेने का अधिकार है। सरकारी निर्माण हो या फिर प्राइवेट पानी का यूज तो किया जाता है, लेकिन उसका टैक्स नहीं चुकाया जाता है। केवल वाटर टैक्स नहीं बल्कि सीवर टैक्स में लोग नहीं जमा करते है। जलकल विभाग के रिकार्ड के अनुसार अकेले लोक निर्माण विभाग के ऊपर ही करीब ख्फ् करोड़ रुपए बकाया है।

स्टॉफ की कमी के चलते नहीं हो रही वसूली

नगर निगम की तरह जलकल विभाग के पास टैक्स वसूली के लिए लंबा चौड़ा स्टाफ नहीं है। जलकल के जेई (अभियंता) के पास रिपेयरिंग के साथ-साथ टैक्स वसूली की जिम्मेदारी है। वर्क लोड ज्यादा होने के चलते अफसर अपने नीचे स्तर के कर्मचारियों पर निर्भर रहते है। वाद -विवाद और निजी स्वार्थ के चलते कई बार टैक्स वसूली पर इसका असर पड़ता है। हालांकि जलकल प्रबंधक राजीव बाजपेई ने इस बार जोनल स्तर के अफसर और कर्मचारियों को हर दिन एक लाख रुपए का टैक्स वसूलने का टारगेट दिया है।

क्या आती है प्रॉब्लम-

क्- नगर निगम की तरह जलकल को टैक्स वसूली के लिए फोर्स नहीं मिलती है

ख्- स्टॉफ की कमी और लोकल लोगों को वसूली की जिम्मेदारी के चलते नहीं जमा होता है टैक्स

फ्- कंज्यूमर्स सरकारी नल का पानी न यूज करने की बात कहकर टरका देते है

ब्- नियमानुसार जलकल विभाग एरिया में बिछाई गई लाइन है तो टैक्स लेने का अधिकारी है। फिर चाहे कंज्यूमर्स यूज करे या न करें।

इनका कोई रिकार्ड नहीं

सिटी में जलकल विभाग के कई ऐसे कंज्यूमर्स है जिनका रिकार्ड तक नहीं है। रोड किनारे समर सेबल और मोटर लगाकर व्हीकल वॉशिंग के अलावा अपार्टमेंट, मकान के निर्माण कार्य के साथ-साथ सार्वजनिक नल लगाने जाते है। जिनका सार्वजनिक यूज के नाम न तो कोई रिकार्ड होता है और न ही उसका टैक्स देने वाला कोई जिम्मेदार होता है।

टैक्स से पब्लिक को मिलेगी सुविधा

सिटी में जलकल विभाग का करोड़ों रुपए बकाया है। प्रबंधक जलकल राजीव बाजेपई का कहना है कि अगर बकाया टैक्स रुप में विभाग को बड़ी रकम मिलती है तो पब्लिक के लिए नई स्कीम चालू की जाएगी। एरिया में ज्यादा से ज्यादा ट्यूब वेल और हैंडपंप के साथ वर्षो पुरानी हो चुकी अंडर ग्राउंड वाटर लाइन को सप्लाई को मरम्मत की जगह उन्हें नए सिरे से लगाया जा सकता है। इसके अलावा सप्लाई के लिए वाटर टैक बनाए जा सकते है। कच्चा पानी को थर्ड वाटर व‌र्क्स में सप्लाई योग्य बनाया जा सके।

वर्जन-

सिटी में सवा तीन लाख कंज्यूमर्स है। हकीकत यह है कि उसमें से पचास प्रतिशत भी वाटर और सीवर टैक्स नहीं पे करते है। जिसके चलते जलकल विभाग में बकाएदारों की लिस्ट लंबी हो गई है। टैक्स वसूली के लिए कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है।

-राजीव बाजपेई

प्रबंधक, जलकल विभाग।