लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में इस समय कोहरा के साथ गलन और प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा हुआ है। जहां प्रदूषण के महीन कण वातावरण की निचली सतह में मौजूद रहते हैं। जो सांस के जरिए फेफड़ों के अंदर चले जाते हैं। जिसकी वजह से सांस की नली और फेफड़ों में सूजन की समस्या बढ़ रही है। चिंता की बात यह है कि इमरजेंसी में आने वाले 40 से 50 फीसद मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट, 15 से 20 फीसदी मरीजों को बाईपैप और पांच से सात फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ रही है।

सांस के मरीज रखें विशेष ध्यान
- सांस के मरीज दवाओं का सेवन करते रहें
- इनहेलर लेन न बंद करें
- सर्दी के मौसम में बाहर निकलने से बचें
- ठंडी वस्तुओं का सेवन न करें

मरीजों के लिए यह करना जरूरी
- खांसी आने पर भाप लें
- पेट के बल भी थोड़ी देर लेटें
- घर के अंदर ही फिजिकल एक्सरसाइज करें

बड़ी संख्या में सांस के मरीज ओपीडी व वार्ड में आ रहे हैं। जिनमें कोरोना का डर समाया है। हालांकि उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। उसके बावजूद लोग भयभीत हैं।
डॉ। सूर्यकांत, केजीएमयू रेस्पीरेट्री मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष

सर्दी के मौसम में सांस के मरीजों को पूरी सतर्कता रखनी चाहिए। उन्हें चल रही दवाओं का सेवन करते रहना चाहिए। जरा सी भी दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डॉ। वेद प्रकाश, पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष, केजीएमयू