लखनऊ (ब्यूरो)। सरोजनी नगर के अमौसी स्थित टीएस मिश्रा मेडिकल कालेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा ने हास्टल की नौवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। वह एमबीबीएस फस्ट ईयर की छात्रा थी। शुक्रवार को कालेज में अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स की फेयरवेल पार्टी का आयोजन होना था। छात्रा के मौत के बाद से कालेज में सन्नाट छा गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने छात्रा के कमरे से सुसाइड नोट भी बरामद किया है।

डिप्रेशन में थी छात्रा, चल रहा था इलाज

मुलरूप से बिहार के पटना निवासी छात्रा मृणाल सिंह के पिता का नाम कौशल किशोर है। छात्रा ने टीएस मिश्रा मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया था। वह यहां गल्र्स हास्टल में ही रह रही थी। शुक्रवार सुबह चीख सुनकर हास्टल की बाकी छात्राएं बाहर निकलीं तो देखा मृणाल सिंह लहूलुहान पड़ी थी।

डाक्टर नहीं बचा सके जान

मेडिकल कालेज में ही डाक्टरों की टीम ने छात्रा का इलाज किया, लेकिन उसे बचा नहीं सके। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। एसीपी कृष्णानगर विनय कुमार द्विवेदी ने घटनास्थल पर पहुंचकर छानबीन की। छात्रा क कमरे से सुसाइड नोट के अलावा कुछ दवाई के पर्चे व दवाईयां भी मिली है। परिवार से बात करने के बाद पुलिस का कहना है कि छात्रा डिप्रेशन में थी और उसका इलाज भी चल रहा था।

नौवीं मंजिल पर रहती थी

एसीपी के मुताबिक छात्रा हास्टल में नौवीं मंजिल पर रहती थीं। प्रारंभिक जांच में हास्टल की बालकनी से छात्रा के गिरने की बात सामने आई है। मृणाल की की मां कालेज से कुछ दूरी पर किराए पर कमरा लेकर बेटी की देखभाल के लिए रहती हैं। वहीं, पिता कौशल किशोर शिक्षक हैं।

पिता के आने का हो रहा इंतजार

पुलिस मृणाल के पिता के लखनऊ आने का इंतजार कर रही है। कौशल के आने के बाद शव परिवारजन को सौंप दिया जाएगा। पुलिस ने छात्रा का कमरा सील कर दिया है। कौशल के आने के बाद हास्टल का कमरा खोला जाएगा। पुलिस ने वहां मिले सुसाइड नोट को अपने कब्जे में ले लिया हैैं। कालेज प्रबंधन ने पुलिस को बताया है कि कुछ दिन से छात्रा मानसिक तनाव में थी। छात्रा ने बालकनी से छलांग लगाकर आत्महत्या की है।

नर्क हो गया है यहां रहना

पुलिस के मुताबिक मृणाल ने सुसाइड नोट में लिखा है कि (लिङ्क्षवग हीयर हैज बिकम अ हेल) यहां रहना नर्क हो गया है। मुझे मेडिकल की पढ़ाई नहीं करनी थी। दबाव बनाकर पढ़ाई करवा रहे थे। पढ़ाई के लिए डांटा जाता था। सारी, मम्मी पापा मैं डाक्टर नहीं बन सकी। मुझे माफ कर देना। एसीपी कृष्णानगर के मुताबिक इस मामले में परिवारजन कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।