लखनऊ (ब्यूरो)। बाल सुधार गृह से बोर्ड एग्जाम देने आया नाबालिग बंदी फरार हो गया। अब पुलिस बंदी की तलाश में जुटी है। नाबालिग बंदी व उसके पिता प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव का निजी डाटा हैक करने के मामले में आरोपी थे और उन्हें दिसंबर में साइबर क्राइम थाने की टीम ने गिरफ्तार किया था। आरोपी प्रमुख सचिव का निजी आईटी कंसलटेंट था। पिता को पुलिस ने गोसाईंगंज जेल भेजा था। वहीं बेटे को मोहान रोड स्थित बाल सुधार गृह।

परीक्षा के नाम पर ली थी पैरोल

मार्च में परीक्षा के नाम पर नाबालिग बेटे ने तीन दिन की पैरोल हासिल की। इसके बाद फरार हो गया। जानकारी होने पर साइबर क्राइम थाने की पुलिस व बाल सुधार गृह के जिम्मेदारों के होश उड़ गये और वे आरोपी की तलाश में जुट गये हैं। वहीं, आरोपी पिता को फरवरी में जमानत मिली थी। उसका भी लखनऊ में कोई सुराग नहीं मिल रहा है।

बिटक्वाइन से मांगी रंगदारी

प्रमुख सचिव नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव ने नवंबर के अंतिम सप्ताह में साइबर क्राइम थाने में एक केस दर्ज कराया। जिसमें उनके क्रेडिट कार्ड से विदेशी मुद्रा का ट्रांजेक्शन करने की बात सामने आई थी। इसके अलावा हैकरों ने प्रमुख सचिव व उनके परिवार के चार लोगों के ईमेल और क्लाउड डाटा को हैक कर बिटक्वाइन में रंगदारी मांगी थी। इस मामले में साइबर क्राइम थाने की टीम ने 11 दिसंबर को आईटी कंसल्टेंट कंपनी के तीन कर्मचारी पीजीआई के उतरेठिया बाजार निवासी अमित प्रताप सिंह, वृंदावन योजना सेक्टर 9 के रजनीश निगम और गोमतीनगर एम रसेल कोर्ट के हार्दिक खन्ना को पकड़ा था। पर साइबर क्राइम टीम की विवेचना आगे बढ़ी तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये।

एक सप्ताह बाद पकड़े गये

साइबर क्राइम टीम की जांच आगे बढ़ी तो मामला ठीक उलटा निकला। प्रमुख सचिव को उनके ही निजी आईटी कंसल्टेंट सत्यप्रकाश ने ठग लिया था। मूलरूप से पटना का रहने वाला सत्यप्रकाश सुशांत गोल्फ सिटी के प्लासियो मॉल के पास बने पार्थ अपार्टमेंट में परिवार सहित रहता है। उसने प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव को अपने जाल में फंसा लिया था। निजी व कार्यालय के इंटरनेट से जुड़ी हर समस्या का निदान वह खुद करता था। इसी का फायदा उठाकर उसने गोपनीय जानकारी हासिल की। उनका मेल व डाटा हैक कर लिया। इसके बाद उनसे रंगदारी का मेल भेजा। रंगदारी में उसने पांच बिटक्वाइन (80 लाख रुपये) मांगे।

परीक्षा के नाम पर तीन दिन की मिली पैरोल

खुद रिहा होने के बाद सत्यप्रकाश ने अपने कंप्यूटर प्रोग्रामर नाबालिग बेटे को बाल सुधार गृह से निकालने की साजिश रची। उसने परीक्षा के नाम पर कोर्ट में पैरोल की याचिका दायर की। कोर्ट ने नाबालिक आरोपी की 19 से 21 मार्च तक की पैरोल मंजूर कर दी। उसे बाल सुधार गृह से 19 मार्च को छोड़ा गया, लेकिन वहां से निकलने के बाद नाबालिग कंप्यूटर प्रोग्रामर आरोपी वापस नहीं गया। इसकी जानकारी होने पर बाल सुधार गृह से साइबर क्राइम थाने को सूचना दी गई। इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना मुस्लिम खान के मुताबिक, पिछले 13 दिन से उसकी तलाश की जा रही है, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला है।

एक महीने पहले हो चुका है बालिग

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पैरोल मिलने पर फरार हुआ सत्यप्रकाश का बेटा लगभग एक माह पूर्व ही बालिग हो चुका है। बताया गया कि उसके बालिग होने की जानकारी पुलिस कोर्ट को देने की तैयारी कर रही थी, जिसके बाद आरोपी को लखनऊ जिला जेल में शिफ्ट किया जाता। पर उससे पहले ही सत्यप्रकाश ने बेटे को जेल जाने से बचाने के लिये भगाने की साजिश रच डाली और परीक्षा के नाम पर कोर्ट से पैरोल हासिल कर ली।

कई आईएएस को बना सकता है निशाना

सत्यप्रकाश का बड़ा बेटा और पत्नी भी फरार हैं। चारों के बिहार बॉर्डर से नेपाल भागने की आशंका जताई जा रही है। देश से निकलने के बाद बड़ी साइबर ठगी को अंजाम दे सकता है यह शातिर परिवार। प्रदेश के कई बड़े और हाई प्रोफाइल आईएएस व आईपीएस अफसर का डेटा गैंग के पास हो सकता है। 3 साल सचिवालय आने-जाने के दौरान सत्यप्रकाश ने उनके मोबाइल व कंप्यूटर की जानकारी जुटा रखी है।