- मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा में 17 जुलाई 2014 को महिला की रेप के बाद निर्मम हत्या का मामला

- फास्ट ट्रैक ने आरोपी गार्ड को सुनाई उम्रकैद की सजा, 13 हजार रुपये जुर्माना

LUCKNOW :

29 महीने18 गवाह और आरोपी गार्ड रामसेवक के लिये कोर्ट द्वारा मुकर्रर सजा उम्रकैद साथ में 13 हजार रुपये जुर्माना भीमोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा में बीती 17 जुलाई 2014 को एक महिला की रेप के बाद निर्मम हत्या की बेहद कम अवधि में सुनवाई पूरी करते हुए शनिवार को जब जज ने सजा का एलान किया तो कोर्ट रूम में मौजूद हर शख्स के दिल में भारतीय न्याय व्यवस्था के लिये सम्मान और भी बढ़ गया। दिलदहलाने वाली इस घटना में पुलिस की थ्योरी पर मुहर लगाते हुए कोर्ट ने अरेस्ट किये गए आरोपी रामसेवक को दोषी माना और उसे सजा सुनाई। हालांकि, आरोपी ने सजा सुनाए जाने के बाद भी खुद के निर्दोष होने की दलील दी। पर, कोर्ट के आदेश के बाद उसकी बात पर यकीन करने वाला कोई नहीं था।

अलग जुर्म की अलग सजा

कोर्ट ने अपने 43 पेज के निर्णय में दोषी रामसेवक को हत्या में आजीवन कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना, रेप के दौरान ऐसी चोट कारित करना जिससे मृत्यु हो के आरोप में 20 वर्ष का कारावास और साक्ष्य छिपाने के आरोप में 7 वर्ष के कारावास व 3 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया। इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने अपने पक्ष में जहां 18 गवाहों का परीक्षण कराया था वहीं, बचाव पक्ष ने अपने बचाव में 8 गवाहों को कोर्ट के समक्ष पेश किया।

चौकीदार ने दर्ज कराई थी पहली एफआईआर

कोर्ट में सरकारी वकील धीरज सिंह व प्रतिभा राय ने अपनी बहस में बताया कि गांव के चौकीदार नोखेलाल ने मोहनलालगंज थाने में 17 जुलाई 2014 की सुबह 8.10 बजे रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह सुबह 6.30 बजे अपने खेत की तरफ गया था। जहां बलसिंह खेड़ा गांव के प्राइमरी पाठशाला के पास भीड़ लगी थी। जब वह वहां पहुंचा तो वहां एक अज्ञात महिला का शव नग्न अवस्था में पड़ा था। आसपास भारी मात्रा में खून फैला था और वहीं कपड़े भी पड़े थे। एफआईआर दर्ज होने के अगले दिन मृतका के पिता ने शव की शिनाख्त करते हुए एक और एफआईआर दर्ज कराई थी।

तीन दिन बाद ही पकड़ा गया आरोपी

विवेचना के दौरान 20 जुलाई को पुलिस ने गार्ड रामसेवक को अरेस्ट करते हुए घटना के खुलासे का दावा किया था। पुलिस ने उसके कब्जे से वारदात में इस्तेमाल बाइक, हेलमेट, मोबाइल फोन व उसके कपड़े बरामद किये थे। पुलिस ने बताया था कि आरोपी ने महिला से रेप के बाद उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने विवेचना के बाद आरोपी रामसेवक के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल की थी। सीजेएम ने चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए 6 नवंबर 2014 को सुनवाई के लिये पत्रावली सेशन कोर्ट को सौंप दी थी। एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 19 सितंबर 2015 को रामसेवक के खिलाफ आरोप तय करके गवाही शुरू की थी। अभियोजन ने आरोपी रामसेवक पर लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिये वादी मृतका के पिता, बेटी, डॉक्टर, विवेचक समेत कुल 18 गवाहों को कोर्ट में पेश किया था।

कैरियर का सबसे सुखद पल

वारदात के वक्त राजधानी के एसएसपी रहे और वर्तमान में डीआईजी लखनऊ रेंज प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट के फैसले को बेहद तसल्लीबख्श बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस ब्लाइंड केस में पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस व फॉरेंसिक एविडेंस की कड़ी से कड़ी जोड़कर आरोपी को दबोचा था। कोर्ट ने पुलिस की थ्योरी व कार्रवाई पर अपनी मुहर लगा दी। उन्होंने कहा कि यह पल उनके कैरियर का सबसे सुखद पल है, जिसने उन्हें आगे भी महिलाओं के विरुद्ध अपराध में जी-जान लगाकर काम करने की प्रेरणा दी है। डीआईजी त्रिपाठी ने कहा कि कोर्ट के निर्णय के बाद वे रेंज के सभी कप्तानों को पत्र लिखकर महिलाओं व बच्चियों के संग हुए अपराधों की रिपोर्ट मंगाएंगे और खुद उनका व्यक्तिगत तौर पर विश्लेषण करेंगे। अगर किसी मामले की विवेचना में कोई कमी रह गई है तो उसमें उस कमी को दूर किया जाएगा और अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी।

सजा सुनते ही फूट-फूट कर रोया बेटा

कोर्ट ने जैसे ही वारदात में दोषी पाए गए रामसेवक को उम्रकैद की सजा सुनाई, कोर्ट रूम में मौजूद उसका 20 वर्षीय बेटा रोहित यादव फूट-फूट कर रोने लगा। 29 महीने तक कोर्ट में चली सुनवाई और इस दौरान पुलिस द्वारा रामसेवक के खिलाफ पेश किये गए सुबूत को जानने व देखने के बावजूद वह अपने पिता को दोषी मानने को तैयार न था। उसने फौरन फोन कर बलसिंह खेड़ा में मौजूद मां सुशीला को फोन कर पिता को मिली सजा के बारे में जानकारी दी। बुरी तरह बिलख रहे रोहित ने बताया कि उसकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है लेकिन, दो बहनें अब भी कुंवारी हैं। रोहित ने कहा कि पिता को सजा मिलने के बाद उसकी बहनों की शादी में भी दिक्कत आएगी।

मृतका के भाई ने की फांसी की मांग

29 महीने तक कोर्ट में चली सुनवाई के बाद शनिवार को कोर्ट को फैसला सुनाना था। राजधानी को हिला देने वाली घटना का फैसला सुनने के लिये कोर्ट रूम में भारी गहमागहमी थी। लेकिन, मृतका के परिवार का एक भी सदस्य वहां पर मौजूद नहीं था। कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद आई नेक्स्ट ने फोन पर देवरिया निवासी मृतका के भाई से बात की। उसने कोर्ट की सजा को कम बताते हुए कहा कि जिस तरह की बेरहमी से उसकी बहन को मौत के घाट उतारा गया वह रेयर ऑफ रेयरेस्ट की श्रेणी में आता है और उसे फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिये। उसने हाईकोर्ट में दोषी को फांसी की सजा देने के लिये अपील करने की बात कही।