- 1 हजार मकान इलाके में हैं

- 4 हजार लोग रहते हैं

- 30 साल से रोड के लिए भटक रहे

- 20 साल से विकास को गुहार लगा रहे

- तीस साल से नगर निगम को दे रहे टैक्स और चुन रहे पार्षद

- खुद के पैसों से रोड में डलवा रहे मलबा

- पार्षद, विधायक, मेयर, मंत्री और सांसद तक स्थानीय लोग लगा चुके गुहार

LUCKNOW : सरोजनीनगर द्वितीय वार्ड स्थित अलीनगर सुनहरा में 'विकास' के अलावा सब कुछ है। यहां सड़क, नाली, खड़ंजा, पेयजल की सुविधा व पानी निकासी की व्यवस्था लापता है। बस मकान है, लोग हैं और रोशनी के लिए बिजली है। समस्याओं से जूझ रहे लोगों का विश्वास भी अब जनप्रतिनिधियों से टूटता जा रहा है। पिछले बीस साल से विकास की गुहार लगाने वाले लोगों को बस केवल जो मिल रहा है तो वह है आश्वासन।

खुद के पैसों से मलबा डलवा रहे

अलीनगर सुनहरा में करीब एक हजार से ज्यादा मकान हैं और यहां करीब चार हजार लोग रहते हैं। इलाके की कई रोड पिछले तीस साल से लापता है। रोड गढ्डों में तब्दील हो गई है और जल भराव के चलते वहां पैदल तो दूर वाहनों से चलना भी दूभर है। स्थानीय लोग रोड पर अपने अपने घरों व दुकानों के सामने 8 सौ रुपये प्रति ट्राली खरीद कर मलबा डलवा रहे ताकि वह बाहर निकल सकें।

बारिश न होने की मांगते हैं दुआ

भीषण गर्मी में जहां लोग बारिश होने के लिए प्रार्थना करते हैं तो यहां के लोग बारिश न होने के लिए दुआ मांगते हैं। क्योंकि जलनिकासी की व्यवस्था है नहीं, रोड भी गायब है। बारिश होने पर वहां जलमग्न होने का खौफ रहता है। यहां तक की घरों में पानी भर जाता है और लोगों का बाहर तक निकलना मुश्किल हो जाता है।

हर दरवाजा खटखटा चुके

स्थानीय लोगों ने रोड, नाली व पेयजल के लिए सासंद कौशल किशोर, विधायक व मंत्री स्वाती सिंह, मेयर संयुक्ता भाटिया, पार्षद संतोष कुमारी के चौखट के दर्जनों बार चक्कर काटे, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन मिला, पिछले कई वर्षो से तकलीफ दूर नहीं हो सकी।

लोगों से बात-चीत

इलाके में तीस साल से न तो रोड बनी और न ही पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था हो सकी। जलनिकासी न होने के चलते घरों से निकलने वाला पानी भी मुख्य मार्ग पर जलभराव में तब्दील हो जाता है।

- बली करन यादव

मंत्री व मेयर तो कहती हैं कि यह मोहल्ला कहां पड़ता है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं जबकि तीस साल से पार्षद चुन रहे हैं। सांसद, विधायक और मेयर को वोट दे रहे हैं। अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे, लेकिन बदले में केवल आश्वासन मिल रहा।

- भारत लाल

घर के बाहर कीचड़ व पानी हमेशा भरा रहता है। रिश्तेदार व मेहमान भी घर नहीं आना चाहते हैं। जैसे लगता है कि हम शहर में नहीं जंगल में रह रहे हैं। इससे अच्छी स्थिति तो गांव की है। कम से कम वहां नाली व रोड तो बनी हैं।

-मीना कुमारी

मलबा डालकर किसी तरह चलने के लिए रोड तो हम लोग खुद बना रहे हैं, लेकिन इतने गड्ढे हैं कि बाइक से चलने पर कई बार हादसे होते हैं। लोग गिर कर घायल हो जाते हैं। रोड व जल निकासी इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या है।

- पंकज

इलाके में रोड व जलनिकासी के लिए हर दरवाजे व जिम्मेदार से गुहार लगाई जा चुकी है। सीएम पोर्टल तक शिकायत की गई। सांसद ने कुछ मदद की, लेकिन नगर निगम ने बजट न होने का हवाला देकर वर्षों से रोड बनाने का प्रोजेक्ट पर विराम लगा रखा है।

-प्रीतम सिंह

सरोजनी नगर द्वितीय वार्ड के सुनहरा अलीनगर से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। शहर के पॉश इलाके से महज आधा किमी की दूरी पर बसी कॉलोनी में वर्षों से कोई काम नहीं कराया गया। चुनाव के समय बस नेता आते हैं और वादा करके चले जाते हैं।

- रविकांत यादव

न सीवर लाइन है, न जलनिकास के लिए नाली बनाई गई। पेयजल व्यवस्था तो गायब है। कुछ हैंडपंप लगाए गए थे लोगों की प्यास बुझाने के लिए वह भी वर्षो से खराब पड़े हैं। न दोबारा उनकी बोरिंग कराई और न ही वह बनवाए गए।

-सचिन पांडेय

जिन लोगों के पास चार पहिया वाहन हैं, उन लोगों ने वाहन घर से निकाला बंद कर दिया या फिर कॉलोनी से दूर इलाके में रिश्तेदार व परिचित के घर खड़ा करने को मजबूर हैं क्योंकि रोड इस लायक नहीं है कि चार पहिया वाहन चल सके।

-सुरेंद्र रावत