लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी ने इंजीनियरिंग व टेक्निकल फैकल्टी के बीटेक कोर्सेस के लिए नई शिक्षा नीति लागू कर दी है। एलयू के बीटेक कोर्सेस अब शैक्षिक सत्र 2023-24 से नई शिक्षा नीति के तहत चलेंगे। डीन प्रो। एके सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति लागू होने पर अब छात्रों को मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट की सुविधा मिलेगी। अगर स्टूडेंट फस्र्ट इयर पूरा होने पर कोर्स छोडऩ चाहे तो उसे फस्र्ट इयर में इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में सर्टिफिकेट मिलेगा। इसी तरह सेकंड इयर पूरा होने पर कोर्स छोडऩे पर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा मिलेगा। थर्ड इयर पूरा होने पर कोर्स छोडऩे पर उसे इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में एडवांस डिप्लोमा दिया जाएगा।

फोर्थ इयर वालों के लिए भी सुविधा

इस बदलाव के तहत बीटेक फोर्थ इयर के स्टूडेंट्स को संबंधित शाखा में बीटेक, अनुसंधान द्वारा संबंधित शाखा में बीटेक, अनुसंधान द्वारा संबंधित शाखा में इंटेग्रेटेड बीटेक के साथ एमटेक के ऑप्शन दिए जाएंगे। इसमें से विकल्प दो व तीन केवल 7.5 से अधिक या उससे बराबर सीजीपीए वाले स्टूडेंट्स के लिए लागू होगा। चार साल के दौरान स्टूडेंट्स किसी भी चरण में फिर से एडमिशन ले सकता है। वीसी प्रो। आलोक कुमार राय का कहना है कि एनईपी व्यावहारिक शिक्षा की आवश्यकता पर भी जोर देती है, जिसके तहत इंजीनियरिंग फैकल्टी के शिक्षकों ने ऐसे डेवलप किए गए हैं, जिससे स्टूडेंट्स को व्यावहारिक अनुभव मिले और वह वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो।

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बाबा साहेब अपने जीवन में ज्ञान के अनुरूप चले

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर बीबीएयू ने अपना स्थापना दिवस मनाया। यह कार्यक्रम बीबीएयू के अटल बिहारी वाजपेई सभागार में हुआ। इस समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल सिक्किम लक्ष्मण प्रसाद आचार्य मौजूद रहे। वहीं, कुलपति डॉ। संजय सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ। प्रकाश बरतुनिया कुलाधिपति समेत विशिष्ठ अतिथि विजय सांपला, अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग व मुख्य वक्ता डॉ। विनय सहस्रबुद्धे शामिल हुए। मुख्य अतिथि लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहा कि जीवन में जिस ज्ञान को समझ लिया जाता है उसके अनुरूप जीना कठिन होता है, लेकिन अंबेडकर जी ने अपना जीवन उन्हीं मूल्यों को समर्पित कर दिया। विजय सांपला ने कहा कि बाबासाहेब को केवल दलितों का नायक मानना उनके योगदान को बहुत कमतर आंकना है। हमें उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जानना चाहिए, क्योंकि उन्होंने किसी एक वर्ग या जाति के लिए काम नहीं किया। सभी के लिए किया है। मुख्य वक्ता डॉ। विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि बाबासाहेब ने भारतीय समाज के लिए जो किया उसके लिए हम सभी को उनका कृतज्ञ होना चाहिए। वे उच्चकोटि के तत्व चिंतक, अर्थशास्त्री, समाज चिंतक व विचारक थे।