लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी से कई बड़े शहरों को जोड़ने वाला चारबाग बस स्टेेशन पर कूड़े, गंदगी, अवैध अतिक्रमण का जमावड़ा है। प्रशासन के सख्ती के बाद भी बस स्टेशन के कर्मचारियों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा। यहां कूड़ा खुले में ही पड़ा रहता है, जिसे उठाने वाला कोई कर्मी नहीं है। बसों की जानकारी के लिए लगे डिजिटल इनफार्मेशन बोर्ड पर विज्ञापन लगे हुए हैं। वहीं, स्टेशन के एंट्री और एग्जिट पर ई-रिक्शा वालों का कब्जा हो गया है, जिसके चलते यात्रियों को आने-जाने में बहुत दिक्कतें होती हैैं। इन ई-रिक्शा वालों को रोकने के लिए बाहर कोई ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी नजर नहीं आया।

केस 1

सुबह से तिलोई के लिए बस का इंतजार कर रहा हूं। करीब 2 घंटों से बैठे हुए हैं, पर बस का कुछ अता पता नहीं रहता कि कब मिलेगी। अगर एक बस छूट गई तो फिर दूसरी बस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।

-कुशीराम, यात्री

केस 2

बहराइच के लिए बस का इंतजार कर रही हूं। सुबह से बैठी हुई हूं, पर बस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही। बस स्टेशन कर्मचारियों से पूछो तो कोई बताता है कि यहीं से मिलेगी तो कोई कहता है कि कैसरबाग से मिलेगी।

-सुशीला, यात्री

बैठने के लिए सीटें कम हैं

चारबाग बस स्टेशन से रोजाना करीब 350 बसों का संचालन होता है, जिनमें 6 हजार से अधिक यात्री सफर करते हैं। यहां से गोरखपुर, आजमगढ़, सुल्तानपुर, कानपुर, जगदीशपुर, सीतापुर, फैजाबाद और लखीमपुर समेत अन्य शहरों के लिए बसों का संचालन होता है। पर इसके बावजूद यहां यात्री सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। बस स्टेशन के अंदर घुसते ही महिला प्रतिक्षालय बना हुआ है, लेकिन वहां एक भी महिला बैठी नहीं दिखाई देती। सीटों की कमी के कारण ïअकसर उनपर पुरुष आकर बैठ जाते हैं। चारबाग में रेलवे स्टेशन होने के कारण यात्री ट्रेन से उतरने के बाद दूसरे शहरों के लिए बस पकड़ने के लिए बस स्टेशन पर आते हैं, पर सीटों की संख्या में कमी होने के कारण उन्हें जमीन पर ही बैठ कर बसों का घंटों इंतजार करना पड़ता है। वहीं, शेड में खुली दुकानों के चलते बैठने की जगह और कम हो गई है। ऐसे में यात्रियों को खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। बारिश में समस्या और विकट हो जाती है, क्योंकि चारों ओर जलजमाव हो जाता है।

बेबी फीडिंग सेंटर पर ताला

बस स्टेशन के अंदर घुसते ही महिला-शिशु देखभाल कक्ष बना हुआ है, लेकिन इसपर ताला लगा हुआ है। स्टेशन के अंदर घुसते ही बदबू करते खुले डस्टबिन, टहलते हुए आवारा कुत्ते, ईंट के ढेर, प्रचार की होर्डिंग, गुटखे के खाली पैकेट, खाली बोतलें, दीवारों पर थूक के दाग, गड्ढ़ों में भरा पानी नजर आया। बस स्टेशन पर एक भी ऐसा निरीक्षण कर्मी तैनात नहीं मिला, जो स्टेशन पर गंदगी फैलाने वाले या बिना किसी काम के बस स्टेशन के अंदर बैठने वालों को रोके। एक सच यह भी है कि स्टेशन पर फैलने वाली गंदगी के लिए यात्री भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जितना यहां का स्टॉफ। कई यात्री ऐसे भी नजर आए जो खाने-पीने के बाद कूड़ा डस्टबिन के बजाय इधर-उधर फेंकते नजर आए। स्टेशन के अंदर बिकने वाले गुटखा, तंबाकू पर भी रोक लगनी चाहिए, सबसे ज्यादा गंदगी इन्हीं चीजों से फैलती है।

अगर कहीं कोई समस्या है तो उसे सही करवाया जाएगा। लापरवाही करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

-अजीत सिंह, प्रवक्ता, परिवहन निगम