- सीवरेज सिस्टम ध्वस्त, पार्किंग है नहीं और कूड़ा तो 15 दिन तक नहीं उठता

LUCKNOW:मुगल काल से लखनऊ में होने वाले हर उतार-चढ़ाव की गवाह रही चौक की फूल मंडी अब दुश्वारियों के दौर से गुजर रही है। कभी जिसे नवाबों का मोहल्ला कहा जाता था और यहां की शाम गीत-संगीत से गुलजार होती थी, आज वहां हर तरफ कूड़े के ढेर लगे हैं और ब्रिटिश काल में बनाया गया सीवरेज सिस्टम ध्वस्त होकर यहां की समस्याओं को बढ़ा रहा है। आइए जानते हैं, यहां के लोग अब किन दुश्वारियों का सामना कर रहे हैं

जाम बन गया पहचान

इस एरिया में पार्किंग न होने के कारण लोग सड़क पर गाडि़यां खड़ी कर देते हैं, जिससे यहां भीषण जाम लग जाता है। 2017 में यहां पार्किंग के लिए हिरन पार्क में सर्वेक्षण किया गया था लकिन इसके बाद इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया।

बढ़ती जा रही सीवर की समस्या

इस एरिया में सीवरेज सिस्टम का निर्माण अंग्रेजों के जमाने में किया गया था। नगर निगम जिसका रख-रखाव करने में नाकाम साबित हुआ है। बढ़ती आबादी के साथ सीवरेज सिस्टम ध्वस्त हो गया है और कई जगह सीवर का पानी रोड पर भी आ जाता है। बारिश के दिनों में यहां होने वाला जलभराव सबके सामने बड़ी समस्या खड़ी कर देता है।

बदहाली में जीने की डाली आदत

यहां के व्यापारियों ने बताया कि सफाई व्यवस्था की तो बात छोडि़ए, यहां अगर सरकारी विभागों की ओर से कहीं खोदाई कराई जाती है तो ठेकेदार उसे काम होने के बाद वैसा ही छोड़कर चले जाते हैं। कई बार नगर निगम में शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हम लोगों ने अब ऐसे ही हालात में जीने की आदत डाल ली है।

जख्मी हो चुकी हैं सड़कें

इस एरिया में जो रोड हैं, वह भी अंग्रेजों के जमाने की हैं। आए दिन होने वाली खोदाई और रखरखाव की कमी से सड़कों की हालत खराब है। बदहाल सड़कें होने के कारण लोगों ने यहां आना-जाना बंद कर दिया है, जिससे यहां का जरी और चिकन का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है।

एक भी टॉयलेट नहीं

सालाना करीब 500 करोड़ का कारोबार करने वाले इस एरिया में एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं है, जिससे दुकानदारों और यहां आने वाले ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सर्वाधिक परेशानी महिलाओं को होती है।

बाक्स

अफगानिस्तान तक जाते हैं कपड़े

देश-दुनिया में चिकन के कारोबार के लिए मशहूर फूलमंडी में बने कपड़े बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से लेकर ईरान आदि देशों तक जाते हैं। वहीं यहां से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तराखंड, महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर चिकन के कपड़े भेजे जाते हैं। आसपास के एरिया में रहने वाले बहुत से परिवार इसी कारोबार से जुड़कर अपना परिवार पालते हैं।

नंबर गेम

1500 दुकानें पूरे एरिया में

2 लाख लोग रोज आते बाजार में

500 करोड़ का सालाना करोबार

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इन बातों को भी जानें

- प्रदेश के विभिन्न जिलों में यहां से भेजे जाते हैं फूल

- अयोध्या में श्रीराम लला के लिए यहां से पुष्पाहार भेजा जाता है

- 1775 के बाद नबाव आसफाउद्दौला के जमाने में बनी मंडी

- यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी राजा की ठंढाई पीने आते थे

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बोले लोग

हमारा ये मोहल्ला ही असल लखनऊ है लेकिन यहां नागरिक सुविधाओं के नाम पर कोई सुविधा नहीं है। सीवरेज से लेकर सफाई तक हर व्यवस्था ध्वस्त है।

मनीष वर्मा

यहां सड़कों पर हर ओर कूड़ा फैला रहता है। एरिया में कहीं पार्किंग न होने के कारण लोग सड़क पर ही गाडि़यां खड़ी करने को मजबूर हैं। जिससे जाम लगता है।

राजू, चिकन कारोबारी

मेरा पैकिंग का काम है और दिनभर काम चलता रहता है। कई बार सीजन में रात में भी काम करना पड़ता है। टॉयलेट न होने के कारण काफी दिक्कत होती है।

छोटे कश्यप, पैकिंग कर्मचारी

अब हम इन्हीं समस्याओं के साथ जीना सीख गए हैं। कहीं कोई हमारी समस्या का समाधान नहीं करते दिखाई दे रहा है। अधिकारी पहल करें, हम सहयोग के लिए तैयार हैं।

फैसल, टेलरिंग का काम

यहां की तंग गलियों में फैली गंदगी को देखकर हमें खुद ही बहुत झिझक होती है। अनेक बार शिकायत की लेकिन किसी ने हमारी समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया।

आदिल, फूल व्यवसायी

सड़क की खोदाई करके ठेकेदार चला जाता है। पंद्रह दिनों तक मिट्टी पड़ी रहती है। रोड लाइट की भी यहां प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। यहां काफी दिक्कतें हैं।

विनोद गुप्त, दूध व्यवसायी

दिन में 10 से 12 बार लाइट जाती है। गर्मी के सीजन में लाइट जाने से काफी परेशानी होती है और हम लोगों का व्यापार भी बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है।

विकास चौरसिया, दुकानदार

यह एरिया शहर के सर्वाधिक पुराने एरिया में से एक है। इसके बाद भी यहां के लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। बाहर से आने वाले व्यापारी भी परेशान होते हैं।

नेहाल परवेज, चिकन कारोबारी