लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में फैकल्टी और स्थायी कर्मचारियों को फ्री में मिलने वाले इलाज के नियमों में बदलाव किया गया है। जिसके तहत संस्थान में पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप यानि पीपीपी मॉडल पर लगी मशीनों से जांच के लिए चार्ज देना होगा। इस बाबत एमएस डॉ। डी हिमांशु की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है। केजीएमयू में करीब 450 नियमित शिक्षक और करीब पांच हजार कर्मचारी तैनात हैं। संस्थान में टीचर्स, कर्मचरियों और उनके आश्रितों के लिए फ्री में इलाज की सुविधा दी जाती है। इसमें पैथालॉजी से लेकर एमआरआई जांच तक शामिल है। लेकिन, अब पीपीपी मॉडल पर स्थापित मशीनों पर जांच कराने के बदले में चार्ज देना होगा।

दो तरह की मशीनें

केजीएमयू में दो तरह की सीटी स्कैन मशीन लगी है। एक मशीन संस्थान की और बाकी सीटी स्कैन मशीनें पीपीपी मॉडल पर लगी हैं। इसी तरह यूरोलॉजी, पैथोलॉजी समेत दूसरे विभागों में पीपीपी मॉडल पर मशीने स्थापित हैंैं। नए नियम के तहत इलाज के दौरान यदि केजीएमयू का नियमित डॉक्टर, कर्मचारी या उनके आश्रित पीपीपी मॉडल पर लगी मशीनों में जांच या इलाज कराते हैं तो उन्हें चार्ज चुकाना होगा। चूंकि पीपीपी मॉडल से चार्ज और फ्री जांच करने में दिक्कतें आती है। इसलिए केवल संस्थान द्वारा लगाई गई जांच मशीनों से जांच कराने में सहूलियत मिलेगी।

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स्वैछिक रक्तदान के लिए किया जागरूक

कारगिल विजय दिवस पर जनता को स्वैछिक रक्तदान के प्रति जागरूक करने के लिए केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा मंगलवार को रक्तदान जागरूकता रैली निकाली गई। यह रैली शताब्दी फेस टू से शहीद स्मारक तक निकाली गई। रैली को मुख्य अतिथि प्रांजल यादव, सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्ष वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने की। कार्यक्रम के दौरान लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूक करने के लिए नाटक का भी मंचन किया गया। वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने बताया कि केजीएमयू को प्रदेश के ब्लड बैंक के रक्त की क्वालिटी जांचने के लिए नोडल सेंटर भी बनाया गया है। यहां पर डिप्लोमा इन ब्लड ट्रांसफ्यूजन टेक्निशियन ट्रेंड किए जाते हैं। प्रांजल यादव, सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने बताया के यह संदेश जाना चाहिए कि रक्तदान करना पूरी तरह सुरक्षित है। वहीं, विभागाध्यक्ष डॉ। तुलिका चंद्रा ने बताया देश में 2 फीसदी आबादी भी नियमित रूप से स्वैच्छिक रक्तदान करें तो समाज में किसी भी मरीज को रक्त मिलने में दिक्कत नहीं आएगी।