- अस्थमा, स्मोकिंग व एलर्जी के मरीज रखें विशेष ध्यान

- चेहरे पर गमछा या दुपट्टा बांधकर ही निकलें

LUCKNOW :

राजधानी की लगातार जहरीली होती हवा का असर यहां के लोगों की सेहत पर भी दिखाई देने लगा है। अस्पतालों में सांस, दिल और आंख की परेशानी के शिकार लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि लोहिया, बलरामपुर, सिविल और केजीएमयू आदि की ओपीडी में 30 फीसद तक मरीजों का लोड बढ़ गया है। हवा जिस तरह खतरनाक हो गई है, उसे देखते हुए लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है।

बढ़ रहे मरीज

राजधानी के सरकारी अस्पतालों में सांस, एलर्जी आदि के मरीज ज्यादा आ रहे हैं। धूल, धुएं और नमी से अस्थमा के मरीजों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। बलरामपुर अस्पताल के रेस्पेरेट्री विशेषज्ञ डॉ। एके गुप्ता ने बताया कि एनवायरमेंट में धुल, धुंआ और मिट्टी पहले से ही है। जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश करती है। सर्दी के मौसम में यह समस्या अधिक होती है। पहले जहां 150 मरीज रोज ओपीडी में आते थे, वहीं अब इनकी संख्या 200 से अधिक पहुंच गई है।

प्रेग्नेंट महिलाएं रखें ध्यान

केजीएमयू के रेस्पिरेट्री विभागाध्यक्ष डॉ। सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि सर्दी में सांस संबंधी रोगियों की संख्या में 30 प्रतिशत तक वृद्धि होती है। वहीं अन्य रोगियों की संख्या में भी 15 से 20 फीसद का इजाफा होता है। इस मौसम में प्रेग्नेंट महिलाएं अपना ध्यान रखें। प्रदूषण के चलते उनके गर्भ में पल रहे बच्चे एलर्जी, निमोनिया, अस्थमा और डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं।

200 से ऊपर एक्यूआई खतरनाक

डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि एक्यूआई 200 से ऊपर हो जाए तो स्वस्थ आदमी पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। आंख-नाक में एलर्जी के साथ गले में खराश भी होने लगती है। लोगों को सिरदर्द और माइग्रेन की भी प्रॉब्लम हो जाती है। जिन्हें हार्ट की दिक्कत है, उन्हें अटैक पड़ने का भी खतरा बन जाता है। इन चीजों से बचने के लिए गर्म पानी पीने के साथ ही भाप भी लेते रहें। भाप आपके फेफड़ों को साफ करेगी। वहीं घर से निकलें तो गमछा या दुपट्टे से चेहरे को ढक लें या फिर मास्क लगाएं।

40 से अधिक उम्र वाले ज्यादा

सिविल अस्पताल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। एनबी सिंह ने बताया कि सांस संबंधी समस्या लेकर नए मरीज भी आ रहे हैं। इनमें से अधिकतर की उम्र 40 वर्ष से अधिक है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि ठंडी चीजें खाने या पीने से बचें। जहां धूल हो, वहां न रहें।

आंखों को भी खतरा

बलरामपुर अस्पताल के ऑपथेमोलॉजी एचओडी डॉ। संजीव ने बताया कि प्रदूषण से आंखों में जलन और पानी आने की समस्या बढ़ जाती है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। खुद से इलाज करने से बचें। यह समस्या अधिक होने पर आंख की रौशनी तक जा सकती है। जब तक हवा में स्मॉग ज्यादा है, तब तक घर से चश्मा लगाकर ही निकलें।

स्मॉग के असर के लक्षण

- अचानक सीने में जकड़न

- अधिक बलगम आने लगना

- खांसी का खत्म न होना

- आंख से पानी आना

ऐसे करें बचाव

- गमछे से मुंह और नाक ढक कर निकलें

- बाहर से आने पर भाप जरूर लें

- कोई भी दवाई खुद से न लें

- आंखों पर चश्मा लगाकर निकलें

- रोगी घर के अंदर रहें और खिड़की-दरवाजे बंद रखें

- नाक बंद होने पर नेजल स्प्रे का प्रयोग करें

- सांस की परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह लें

- बाहर सैर या व्यायाम करने से बचें़

अस्पतालों में बढ़ा मरीज प्रतिशत

अस्पताल फीसद

बलरामपुर अस्पताल 30 फीसद

सिविल अस्पताल 15-20 फीसद

केजीएमयू 20 फीसद

लोहिया 25 फीसद

मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। मास्क लगाने की जगह गमछा या दुपट्टा की चार परत बांधनी चाहिए। गर्म पानी के भांप लेने से फेफड़े की सफाई होती है।

- डॉ। सूर्यकांत त्रिपाठी, रेस्पिरेट्री विभागाध्यक्ष केजीएमयू

सांस संबंधी बीमारी के 15-20 फीसद पेशेंट बढ़े हैं। जरूरी है कि ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक पीने से बचें। जितना हो सके डस्ट वाली जगह न जाएं।

- डॉ। एनबी सिंह, चेस्ट स्पेशलिस्ट सिविल अस्पताल

आंखों में जलन या अधिक पानी आने पर तुरंत डॉक्टर्स को दिखाना चाहिए। खुद से इलाज करने से बचना चाहिए। फिलहाल मरीज पहले की ही तरह आ रहे हैं।

- डॉ। संजीव कुमार ऑपथेमोलॉजी विभागाध्यक्ष बलरामपुर अस्पताल

सांस के रोगियों में इजाफा हुआ है। अब 200 से ऊपर तक मरीज आ रहे है। लोगों को ज्यादा देना चाहिए क्योंकि बढ़ता पाल्यूशन इसका बड़ा कारण है।

- डॉ। एके गुप्ता, रेस्पेरेट्री विशेषज्ञ बलरामपुर अस्पताल