लखनऊ (ब्यूरो)। अनिल अग्रवाल ने कहा कि पेरेंट्स भी कह रहे हैं कि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से चिड़चिड़े हो रहे हैं। कोरोना काल में स्कूलों ने लोगों की मदद की है लेकिन सरकार की ओर से स्कूलों को सहयोग नहीं दिया गया। दो साल से स्कूलों की फीस भी नहीं बढ़ाई गई है। इस बार भी सरकार ने फीस बढ़ाने पर रोक लगाई है। स्कूल वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में अप्रैल से शुरू होने वाले सेशन में फीस बढ़ाई जाएगी।

नहीं बढ़ी शिक्षकों की सेलरी

सीएमएस की प्रेसीडेंट गीता गांधी ने कहा कि तीन सालों से स्कूलों में फीस नहीं बढ़ी है। जिससे शिक्षकों और कर्मचारियों की सेलरी भी नहीं बढ़ाई गई है। महंगाई काफी तेजी से बढ़ी है। ऐसे में स्कूलों पर सेलरी बढ़ाने का दबाव है। सरकार एक तरफा फैसला ले रही है। सीबीएसई कोआर्डिनेटर डॉ। जावेद आलम खान ने कहा कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दे रही है, लेकिन इससे बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं।

आरटीई के बजट के बिना नहीं लेंगे प्रवेश

अनिल अग्रवाल ने कहा पिछले तीन सालों से सरकार स्कूलों पर दबाव बनाकर शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों का फ्री प्रवेश करवा रही है। वहीं फीस प्रतिपूर्ति का पैसा नहीं दिया जा रहा है। अगर फीस प्रति पूर्ति का पैसा नहीं दिया जाता है तो किसी भी बच्चे का प्रवेश नहीं लिया जाएगा।

स्कूल फीस में दे सकते है छूट

कुछ निजी स्कूलों ने मतदान करने वाले अभिभावकों को फीस में छूट देने का भी फैसला लिया है। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से इसकी घोषणा की गई है। एसोसिएशन की सेक्रेटरी माला मेहरा ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभी फीस में 1 फीसदी तक की छूट देने का फैसला लिया गया है। हालांकि यह फैसला बाध्यकारी नहीं है। साथ ही एसोसिएशन की तरफ से स्टूडेंट को अतिरिक्त अंक देने की भी घोषणा की गई है। सेक्रेटरी माला मेहरा ने बताया जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे मतदाता जागरूकता कार्यक्रम में सहयोग करने का फैसला लिया गया है। मतदान के पहले और मतदान के बाद पेरेंंट टीचर मीटिंग की जाएगी। जो अभिभावक मतदान के बाद होने वाली पेरेंट टीचर मीटिंग में अपनी अंगुली पर मतदान की स्याही दिखाएंगे उनके बच्चों को अतिरिक्त अंक मिलेंगे।