- एलयू में पीएचडी एडमिशन को लेकर शुरू हुआ विवाद

- समाजवादी छात्र सभा ने वीसी से की मुलाकात

LUCKNOW :

लखनऊ यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले पीजी की मेरिट में कई बार बदलाव को लेकर संदेह के घेरे में आ गई थी। वहीं अब पीएचडी एडमिशन में सीटें कम कर ईडब्लूएस लाभ देना और पहले से तय आरक्षण कोटे के नियम को दरकिनार करने को लेकर विवादों में फंस गई है।

तो कैसे दिया फायदा

समाजवादी छात्र सभा के छात्रों ने सोमवार को यूनिवर्सिटी में वीसी को मिलकर इस पूरे मामले पर ज्ञापन दिया। इस अवसर पर स्टूडेंट्स का कहना था कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया ऑर्डिनेंस के हिसाब से नहीं हो रही हैं। ऑर्डिनेंस में साफ लिखा है कि एक बार सीट संख्या घोषित होने के बाद उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी यूनिवर्सिटी ने सीट संख्या में बदलाव किया है। इस पूरे मामले पर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई साफ साफ जवाब नहीं दिया जा रहा हैं।

2020-21 की सीटों पर एडमिशन

पीएचडी में प्रोफेसर के अधीन अधिकतम आठ, एसोसिएट प्रोफेसर के अधीन छह और असिस्टेंट प्रोफेसर के अधीन एक समय में अधिकतम चार पीएचडी स्कॉलर ही हो सकते हैं। इसके हिसाब से ही सीट जारी की जाती है। एलयू ने अपने विज्ञापन में ईडब्ल्यूएस कोटे की सीट विज्ञापित नहीं की थीं। एलयू का तर्क था कि पीएचडी की सीट यूजीसी के नियम के अधीन है। इसलिए इसमें सीट नहीं बढ़ाई जा सकती है। बाद में एलयू ने ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ देने की घोषणा कर दी। इसके लिए विज्ञापन जारी होने तथा रिजल्ट निकालने की अवधि के दौरान पीएचडी थीसिस जमा होने की वजह से खाली हुई सीट को शामिल कर लिया। एलयू में यह एडमिशन शैक्षणिक सत्र 2019-20 के हैं। जिन पीएचडी थीसिस जमा होने की वजह से सीट खाली होने की बात कही जा रही हैं। वह इससे अगले सत्र यानी की 2020-21 की हैं।