- मुश्किल वक्त में भी नर्स पति-पत्‍‌नी निभा रहे अस्पतालों में अपनी ड्यूटी

LUCKNOW :

वे पूरी नींद नहीं लेते हैं ताकि मरीज चैन की नींद सो सके। आखिर हो भी क्यों न, मरीज की जिम्मेदारी उनके कंधों पर जो होती है। यही त्याग और समर्पण की कहानी होती है नर्स की। ऐसे में अगर पति-पत्‍‌नी दोनों नर्स हों तो उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। आइए इस नर्सिग डे पर उनके इसी जज्बे को सलाम करते हैं। पेश है एक विशेष रिपोर्ट

एक-दूसरे की हैं हिम्मत

मैं और मेरी वाइफ कल्पना दोनों केजीएमयू में नर्स हैं। इस समय हमारी नार्मल वार्ड में ड्यूटी लगी है। हमें हॉस्पिटल के साथ घर दोनों को देखना होता है। कई बार बच्चों को पड़ोस में छोड़ना पड़ता है क्योंकि दोनों की ड्यूटी का समय एक हो जाता है। हमारेलिए काम पहले है, क्योंकि इस प्रोफेशन में आने का मतलब है, पहले पेशेंट फिर फैमिली। कोरोना का संकट चल रहा है और नर्स की ड्यूटी सबसे अहम है। काम करते हुये सुबह से रात कब हो जाती है पता ही नहीं चलता। हम दोनों एक दूसरे को हिम्मत देने का काम कर रहे हैं।

सतेंद्र कुमार, नर्स केजीएमयू

पूरी फैमिली मेडिकल प्रोफेशन में

मैं पीजीआई तो वाइफ विद्या सिंह सिविल हॉस्पिटल में नर्स हैं। अब वाइफ का काम ज्यादा हो गया है। वो सुबह 4 बजे उठकर सभी तैयारी करती है और समय से हम काम पर निकल जाते हैं। बेटी पूरा घर संभालती है। मेरे दो बेटे और एक बेटी भी प्राइवेट अस्पताल में नर्स का काम करते हैं। हम इस प्रोफेशन में इसी उद्देश्य से आए हैं कि दूसरों की जितनी सेवा कर सकें करें। यह काम हमें मोटिवेट करने का काम करता है।

रवींद्र सिंह, नर्स पीजीआई

पेशेंट की पूरी जिम्मेदारी

मैं पीजीआई और वाइफ नुरून निशा दोनों नर्स हैं। हमारा साढ़े तीन साल का बेटा है। जब हमारी ड्यूटी एक की टाइम पर होती है तो मैं सास को उसकी देखभाल के लिए बुलाता हूं। हमारे कंधों पर मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी होती है। ये प्रोफेशन मानवता, दया और सहानुभूति का है। मरीजों को दवा देने के साथ ही हम उसे हिम्मत देने का भी काम करते हैं। हमारे काम से मरीज और तीमारदारों के चेहरे पर आई खुशी ही हमारी पूंजी है।

मो। शफी, नर्स पीजीआई

पत्‍‌नी ने संभाला घर

मैं पीजीआई और वाइफ निधी सिंह लोहिया हॉस्पिटल में नर्स हैं। जब कोविड.19 में ड्यूटी लगी तो वाइफ ने ही 21 दिनों तक पूरा घर अकेले संभाला। घर में दो बच्चे हैं ऐसे में कई बार घर और हॉस्पिटल संभालने में दिक्कत होती है। कई बार बच्चों को पड़ोस में छोड़कर जाते हैं। इस समय जो प्राब्लम चल रही है ऐसे में हम लोग काम आगे बढ़कर नहीें करेंगे तो कब करेंगे। आखिर इसीके लिए तो हमने इस प्रोफेशन को चुना है। हमारे लिए मरीज पहले है, परिवार बाद में।

विनय सिंह, नर्स पीजीआई