लखनऊ (ब्यूरो)। ओजोन थेरेपी से न केवल डेंटल इंप्लांट की सफलता दर बढ़ेगी बल्कि, मरीजों की दवा पर निर्भरता भी कम होगी। साथ ही रिकवरी की क्षमता को गति भी मिलेगी। इसे डेंटल के मरीजों को बढ़ी राहत मिलेगी। केजीएमयू के डेंटल विंग के प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के रिसर्च में सामने आया है। इसका चिकित्सा पद्धति में उपयोग करने से मरीजों को दवाओं की आवश्यकता पर निर्भरता भी बेहद कम हो गई।

मरीजों पर की गई स्टडी

केजीएमयू के डेंटल विंग के प्रोस्थोडान्टिक्स विभाग के डॉ। भास्कर अग्रवाल ने ओजोन से इलाज की मशीन पर काम किया है। ओजोन के जरिए रूट कनाल और दांतों में इंप्लांट लगाने के दौरान ओजोन थेरेपी के इस्तेमाल पर शोध किया है। उन्होंने इंप्लांट के 40 मरीजों पर ओजोन थेरेपी दी। इस दौरान पाया गया कि मरीजों की दवाओं की जरूरत बेहद कम पड़ी। इतना ही नहीं सर्जरी के बाद होने वाली सूजन व दर्द आदि नहीं हुआ और घाव भी जल्दी भर गए।

पेटेंट भी कराया है

ओजोन थेरेपी के तहत पर्यावरण से या आक्सीजन सिलेंडर के जरिए मशीन द्वारा ओजोन बनाकर इलाज किया जा सकता है। दंत चिकित्सा में ओजोन को जेनेरेट करने की डिवाइस विदेशों से मंगाने के कारण काफी महंगी मिलती है। इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने सस्ती डिजाइन बनाई और उसका पेटेंट भी करवाया है।

दवा की जरूरत कम

दंत चिकित्सा के दौरान ओजोन थेरेपी देने से मरीजों की एंटीबायटिक या पेन किलर दवाओं पर निर्भरता बेहद कम हो जाती है। इससे इंजेक्शन के बिना फिलिंग, डेंटल ट्रीटमेंट और अन्य इलाज बेहद कम खर्च हो सकता है। डॉ। भास्कर के मुताबिक मुंह में कीड़े लगने पर दांत के उस हिस्से को निकालने के बाद उसमें फिलिंग की जाती है। इस दौरान ओजोन थेरेपी की मदद से दांतों का हिस्सा निकाले बिना सिर्फ 10 सेकंड में ही 99 फीसदी तक जीवाणु को खत्म किया जा सकता है। इसके बाद सामान्य रूप से फिलिंग की जा सकती है। वहीं दांतों की सेंसिटिविटी और रूट कनाल के इलाज में मात्र 60 सेकंड की ओजोन थेरेपी बेहतर परिणाम देती है।