लखनऊ (ब्यूरो)। प्रख्यात पखावज वादक दिनेश प्रसाद का राजधानी के कैसरबाग स्थित सफेद बारादरी में चल रहे सनतकदा फेस्टिवल में सोमवार को प्रस्तुति के दौरान निधन हो गया। उनके निधन की सूचना मिलते ही कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई। वह लगभग 68 वर्ष के थे।

अकादमी अवार्ड से हो चुके थे सम्मानित

पखावज वादक दिनेश प्रसाद का जन्म मथुरा में 1 जून 1956 को हुआ था। इनके पिता पं। बाबू लाल मथुरा के पखावज वादक थे। पखावज वादन की शिक्षा उन्होंने अपने पिता और स्व। कुदऊ सिंह घराने से प्राप्त की थी। 2005 में उनको अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी तीन बेटियां, एक बेटा और पत्नी कमलेश हैं। दो बेटियों की शादी हो चुकी है।

प्रस्तुति के दौरान हुआ निधन

सोमवार को तीन बजे के करीब पं। दिनेश कैसरबाग बारादरी के अमृत लाल तख्त पर ताल वाद्य कचहरी शीर्षक पर प्रस्तुति दे रहे थे। उनके साथ सारंगी पर जीशान, तबला पर इलियास खान, शास्त्रीय गायक इलियास और नाल वादन श्रीकांत कर रहे थे। करीब 15 से 20 मिनट की प्रस्तुति हुई थी, अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा। आयोजनकर्ता माधवी कुकरेजा ने बताया कि दिनेश जी अपनी प्रस्तुति दे रहे थे। अचानक उन्होंने सांस फूलने और सीने में दर्द की शिकायत संगतकर्ता को बताई, जिसके तुरंत बाद उनको लारी कार्डियोलॉजी ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। उनका निधन हम सभी के लिए एक बड़ी क्षति है।

कथक केंद्र में कार्यरत थे

संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने बताया कि दिनेश प्रसाद कथक केंद्र में कार्यरत थे। उनका निधन एक बड़ी क्षति है। वहीं, उनके साथ संगतकर्ता रह चुके तबला वादक पार्था मुखर्जी ने बताया कि उनकी गिनती चंद पखावज वादकों में होती थी। वह बेहद शालीन और मृदुभाषी थे। उनके निधन की सूचना मेरे लिए निजी क्षति है। उन्होंने पखावज वादन को आगे बढ़ाने का काम किया।