लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी की आबादी का एक बड़ा हिस्सा यह मानता है कि केजीएमयू की ओपीडी में मरीजों को सबसे अधिक परेशान होना पड़ता है। वही, 14 प्रतिशत लोगों ने माना कि लोहिया संस्थान की ओपीडी में भी बेहतर सुविधाएं नहीं हैैं, जिसकी वजह से मरीज परेशान होते हैैं। सिविल और बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी की स्थिति फिलहाल बेहतर मानी जा सकती है। यह तस्वीर साफ हुई है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से चलाए गए ट्विटर सर्वे से। सर्वे में कई लोगों के कमेंट्स भी आए हैैं, जिन्होंने माना है कि ओपीडी सेवा को बेहतर किए जाने की जरूरत है ताकि मरीजों को राहत मिल सके।

यह पूछा गया था सवाल

राजधानी के किस अस्पताल की ओपीडी में मरीज को सबसे अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है?

ऑप्शन आए वोट

केजीएमयू 72 प्रतिशत

सिविल 9 प्रतिशत

लोहिया अस्पताल 14 प्रतिशत

बलरामपुर अस्पताल 5 प्रतिशत

72 प्रतिशत एक बड़ा आंकड़ा

हाईटेक सुविधाओं से लैस केजीएमयू की ओपीडी में राजधानी समेत अन्य शहरों से आने वाले पेशेंट्स की रोजाना लंबी लाइन लगती है। अब स्थिति यह है कि हर एक मरीज को ओपीडी में बैठने वाले डॉक्टर तक पहुंचने में एक-एक घंटा तक लग जाता है, जिसकी वजह से मरीज का दर्द और भी अधिक बढ़ जाता है। दावे जरूर किए जाते हैैं कि ओपीडी में व्यवस्थाओं को और बेहतर किया जाएगा, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। वर्तमान स्थिति से साफ है कि ओपीडी में आने वाले पेशेंट्स को इलाज मिले या न मिले, लेकिन उनका दर्द बढऩा तय है।

यहां भी ओपीडी को बेहतर करना होगा

ट्विटर पोल में करीब 14 फीसदी लोगों ने माना है कि केजीएमयू के बाद लोहिया अस्पताल की ओपीडी में आने वाले पेशेंट्स को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां स्थिति भले ही केजीएमयू जैसी बदहाल न हो, लेकिन हालात बहुत बेहतर नहीं है। केजीएमयू और लोहिया दोनों ही प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल हैैं और यहां पर मरीज बेहतर इलाज की उम्मीदों को लेकर आते हैैं लेकिन उनमें से अधिकतर को निराशा ही हाथ लगती है। ऐसे में जिम्मेदारों को तत्काल इस तरफ ध्यान देना होगा और लोहिया, केजीएमयू समेत अन्य सभी अस्पतालों में ओपीडी सेवा को और हाईटेक बनाना होगा।

यहां मिलती है थोड़ी राहत

अब अगर सिविल और बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी की बात की जाए तो केजीएमयू और लोहिया के मुकाबले यहां की कंडीशन कुछ बेहतर कही जा सकती है। यहां पर सुविधाएं तो ठीक है, लेकिन कई मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ट्विटर पोल में नौ प्रतिशत लोगों ने माना है कि सिविल अस्पताल की ओपीडी को बेहतर किए जाने की जरूरत है, वहीं पांच प्रतिशत लोगों का कहना है कि बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी को भी हाईटेक बनाए जाने की जरूरत है, जिससे यहां आने वाले मरीजों को राहत मिल सके।

ये आए कमेंट्स

1-आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से ओपीडी मरीजों का पर्चा बनाने के मामले में देश के 443 सरकारी अस्पतालों में लोकबंधु का पांचवां, बलरामपुर का सातवां स्थान है, बस डॉक्टर भी सही से देख लें तो कल्याण हो जाए।

-ज्ञानेंद्र शुक्ला

2-बलरामपुर हॉस्पिटल में डॉक्टर तो आंखों का इलाज कराने की भी घुस ले लेते हैैं, बोला बाहर से सामान लाएंगे 1,650 रुपये अपने पास जमा करा लिए और सामान कुछ भी नहीं लगा। 1,650 रुपये जेब में डॉक्टर साहब मस्त।

-सूरज कश्यप

3-वैसे तो सारे ही वीआईपी लोगों को जल्दी ओपीडी में जगह दे देते हैैं पर केजीएमयू सिर्फ वीआईपी लोगों पर ही ध्यान देता है, अन्य को फर्श पर ही लिटा देते हैैं।

-रवि

4-केजीएमयू और लोहिया, दोनों की ओपीडी में मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

-शरद सिंह