- नए सेशन में एलयू सभी डिपार्टमेंट को देगा एडमिशन करने का अधिकार

- एडमिशन की गाइडलाइन तैयार कर के सभी विभागों को भेजी जाएगी

LUCKNOW :

लखनऊ यूनिवर्सिटी नए सेशन 2021-22 में पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी एडमिशन की प्रक्रिया को डिसेंट्रालइज्ड करने जा रही है। अभी तक यूजी, पीजी और पीएचडी कोर्सेज में एडमिशन की प्रक्रिया सेंट्रलाइज्ड तरीके से होती आ रही है। यूनिवर्सिटी पीजी और पीएचडी कोर्सेज में एडमिशन का अधिकार सभी डिपार्टमेंट्स को देगा।

बनेगी एडमिशन की गाइडलाइन

वीसी प्रो। आलोक कुमार राय ने बताया कि नए सेशन से सभी डिपार्टमेंट को एडमिशन के लिए गाइडलाइन तैयार करनी होगी। इसमें सीटों के निर्धारण, उन पर लागू होने वाले रिजर्वेशन की प्रक्रिया और दूसरे सभी निर्देश शामिल होंगे। वीसी ने बताया कि हमारा उद्देश्य सभी डिपार्टमेंट्स को पॉवरफुल बनाना है। पीजी और पीएचडी लेवल पर एडमिशन डिपार्टमेंट लेवल पर कराना आसान हैं। पीजी में ज्यादातर कोर्सेज में सीटों की संख्या कम होती है और उनमें सौ, दो सौ और तीन तक आवेदन आते हैं। पीजी व पीएचडी में एडमिशन डिपार्टमेंट के अनुसार ही होते हैं।

एग्जाम और रिजल्ट तैयार करने का अधिकार

वीसी ने बताया कि नई प्रक्रिया के अनुसार डिपार्टमेंट अपने लेवल पर खुद तैयारी करेंगे। डिपार्टमेंट हेड की निगरानी में एंट्रेंस एग्जाम का पेपर बनवाया जाएगा, एग्जाम कराने और मूल्यांकन की जिम्मेदारी भी विभाग की होगी। रिजल्ट भी डिपार्टमेंट स्तर तैयार किया जाएगा और काउंसिलिंग भी डिपार्टमेंट स्तर पर होगी। यूनिवर्सिटी सिर्फ निगरानी करेगी।

यूजी में सेंट्रलाइज्ड एडमिशन की प्रक्रिया

वीसी प्रो। राय ने बताया कि यूजी में एडमिशन के लिए प्रक्रिया पहले की तरह ही सेंट्रलाइज्ड पैटर्न पर की जाएगी। यूजी में बच्चों का पहले से यह नहीं पता होता है कि वह किस डिपार्टमेंट में एडमिशन लेंगे। ऐसे में इन कोर्सेज में पहले से चली आ रही प्रक्रिया ही फालो की जाएगी।

शुरू हुई तैयारियां

अभी डिपार्टमेंट को एकेडमिक व वित्त समिति संबंधी गतिविधियों को शुरू करने के लिए एकेडमिक गाइडलाइन का पालन करने के साथ यूनिवर्सिटी पर निर्भर रहना पड़ता है। यूनिवर्सिटी में 45 विभाग हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी स्तर या यूजीसी स्तर पर कोई भी गाइडलाइन पूरी यूनिवर्सिटी को ध्यान में रख कर तैयार होती है। इसका विभागों पर असर पड़ता है। ऐसे में एकेडमिक लिहाज से यूनिवर्सिटी का मानना है कि विभागों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने देना चाहिए। यूनिवर्सिटी वहीं हस्तक्षेप करेगी जहां जरूरत होगी। यूनिवर्सिटी ने इस दिशा में कार्ययोजना बनाना भी शुरू कर दिया है।

बढ़ेगी फाइनेंशियल पॉवर

इसके साथ यूनिवर्सिटी प्रशासन विभागों की फाइनेंशियल पॉवर बढ़ाने के समर्थन में है। अभी हर बड़े और छोटे कार्य के लिए विभागों को यूनिवर्सिटी के वित्त विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी की कोशिश है कि फाइनेंशियल पॉवर बढ़ने से विभागों को आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी अगली वित्त समिति की बैठक में मामला ले जा सकता है।

एकेडमिक लिहाज से विभागों के ऑटोनॉमस होने से क्वॉलिटी को लेकर विभाग निर्णय लेने को स्वतंत्र होंगे। अगले सेशन से सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रक्रिया से पीजी को बाहर रखा जा सकता है।

प्रो। आलोक कुमार राय, वीसी, एलयू