लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई का एंडोक्राइन विभाग अब हड्डियों के कमजोर होने का न केवल कारण खोजेगा, बल्कि इसकी सटीक जांच और इलाज भी खोजेगा। इसके लिए विभाग को डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी), भारत सरकार ने करीब 8 करोड़ रुपये का बजट दिया है। संस्थान को देश में पहली ऐसी परियोजना के तहत फंड दिया गया है जहां ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोमलेशिया के कारण, जांच और इलाज खोजने का काम होगा। यह जानकारी शोध परियोजना के प्रमुख एवं इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रो। सुशील गुप्ता ने दी।

पांच करोड़ की मशीन लगेगी

प्रो। सुशील गुप्ता ने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डी हल्का सा झटका लगने से भी टूट जाती है, जबकि ऑस्टियोमलेशिया में भी हड्डी कमजोर हो जाती है। पर ऑस्टियोपोरोसिस के मुकाबले हड्डी थोड़ा कम टूटती है। इन दोनों के बीच अंतर बेहद कम होता है। चूंकि हड्डी की कमजोरी का पता लगाने में बोन मिनरल डेंसिटी की जांच होती है। वहीं, माइक्रो स्तर पर हड्डी में क्या बदलाव होता है इसके लिए हाई रिजोल्यूशन सीटी (एचआरसीटी) मशीन विभाग को मिली है, जो करीब 5 करोड़ रुपये की है। पीजीआई चंडीगढ़ के बाद पीजीआई लखनऊ में यह दूसरी मशीन है, यानि देश में दूसरी और प्रदेश में पहली मशीन है। इससे जांच अगले महीने शुरू हो जाएगी।

बोन बायोप्सी भी हो सकेगी

प्रो। सुशील ने बताया कि इसके अलावा परियोजना के तहत विभाग द्वारा बोन बायोप्सी भी की जायेगी। जिससे पता चल सकेगा कि आखिर हड्डियां किस वजह से कमजोर हो रही हैं। इसके लिए सर्जरी के दौरान हड्डी का एक टुकड़ा लेकर उसका अध्ययन किया जाएगा, जिससे इलाज की दिशा तय की जा सकेगी। प्रोजेक्ट के तहत शुरुआत में यह जांच मरीजों के लिए पूरी तरह से फ्री रहेगी। ऐसे में मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।