ये तो बाल-बाल बचे

बीएसएनएल मोबाइल सर्विस के फ्रेंचाइजी होल्डर हर्ष अग्रवाल की मेल आईडी पर हाल ही में आरबीआई की ओर से एक मेल आया। मेल में बताया गया था कि रिजर्व बैंक ने मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिये एक सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग सेंटर बनाया है। इस सेंटर में देश के सभी बैंकों के अकाउंट होल्डर्स का डाटा बेस अपडेट किया जा रहा है। मेल में एक लिंक दिया गया था और साथ ही इसके जरिये बैंक के पेज पर जाकर अकाउंट और उससे रिलेटेड सारी इन्फॉर्मेशन लोड करने की हिदायत भी दी गई थी। ऐसा न करने पर नेट बैंकिंग को ब्लॉक करने की भी धमकी दी गई थी। हर्ष ने दिये गये लिंक पर क्लिक किया और आरबीआई फाइनेंशियल सर्विसेज के पेज पर पहुंच गए। इस पेज पर कई बैंकों का पेज अवलेबल था। उन्होंने पीएनबी के पेज पर क्लिक किया तो उसमें उनके एकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर, पासवर्ड, एटीएम नंबर और पिन नंबर लोड करने का निर्देश था। पर, यह देख हर्ष सतर्क हो गये और उन्होंने बिना कोई डिटेल लोड किये पेज को बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने बैंक में मेल के बारे में पड़ताल की तो पता चला कि उनके पास पहुंचा मेल फर्जी है और आरबीआई ने इस तरह का कोई मॉनीटरिंग सेंटर नहीं बनाया है।

 

देशी के साथ विदेशी बैंक भी

जालसाजों की इस वेबसाइट पर देश के सभी नेशनलाइज्ड बैंक के साथ ही प्राइवेट बैंक और यहां तक कि विदेशी बैंकों के पेज भी अवलेबल हैं। रिजर्व बैंक की इस फेक वेबसाइट में ऐसे 40 बैंकों के पेज अवलेबल हैं, जिन पर क्लिक करते ही कंज्यूमर उस बैंक की असली वेबसाइट पर पहुंच जाता है। पर, चूंकि वह फेक वेबसाइट से होते हुए इस वेबसाइट पर पहुंचा है, इसलिये कंज्यूमर जैसे ही अपनी पर्सनल डिटेल लोड करता है, वह डिटेल खुद ब खुद जालसाजों के हाथ लग जाती है।

केमैन आइसलैंड में होस्ट हैं वेबसाइट

साइबर एक्सपर्ट सचिन गुप्ता ने बताया कि जालसाजों ने पकड़े जाने से बचने के लिए विदेश में इस साइट का पंजीकरण कराया है। देश से बाहर होस्ट सर्वर होने की वजह से इन पर कार्रवाई जटिल है।

Report by: pankaj.awasthi@inext.co.in