लखनऊ (ब्यूरो)। नगर विकास विभाग अभियान के दौरान कार्रवाई के नाम पर लोगों की निजता का हनन कर रहा है। लोगों का कान पकड़कर माफी मांगने के वीडियो और फोटोज सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल किए जा रहे हैं, जो मानवाधिकार के खिलाफ है। खुले में पेशाब करने या थूकने पर नगर निगम जुर्माना तो कर ही रहा है, उनकी वीडियो बना कर सोशल मीडिया में भी वायरल किया जा रहा है। इसको लेकर मानवाधिकार एक्टिविस्ट और वकील विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि ये निजता का हनन है। निगम गलती करने पर जुर्माना तो कर सकता है, लेकिन उन्हें लोगों को माफी मांगते हुए या कान पकड़वा कर वीडियो बनाने का अधिकार नहीं है।

गंदगी करने वालों को 'मि। पीकू' का खिताब

नगर निगम ने जी 20 और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद शहर की खूबसूरती बनाए रखने के लिए एक अभियान शुरू किया है। अभियान का नाम है 'थूकना मना है' इसके तहत लोगों को सार्वजनिक स्थल पर पान मसाला खाकर न थूकने को लेकर जागरूक करने के साथ पकड़े जाने वालों पर 250 रुपए का चालान भी किया जा रहा है। निगम अधिकारियों के मुताबिक, ऐसे लोग जो खुले में पेशाब करते या थूकते मिलेंगे उन्हें मिस्टर पीकू खिताब से भी नवाजा जा रहा है। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के मुताबिक, अब तक 82 लोगों से चलाना वसूल कर उन्हें यह खिताब दिया गया है। लेकिन इस बीच नगर निगम ऐसे लोगों के वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, जो खुले में थूकते मिल रहे हैं। उनके इस कदम का अब विरोध होने लगा है।

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

नगर निगम विभाग ने कई वीडियोज और फोटोज पोस्ट किए हैं। इनमें वे लोग दिख रहे हैं, जिन्हें नगर निगम कर्मचारियों ने खुले में थूकते पकड़ा और उनका चालान किया। नगर निगम कर्मचारियों ने उनसे वीडियो के सामने कान पकड़वा माफी मंगवाई और वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। कई ऐसी तस्वीरें भी हैं, जिनमें थूकने वालों को फूलों की माला पहनाई गई और तस्वीर वायरल कर दी गई। ये वीडियो और फोटो नगर निगम के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स से पोस्ट की गईं।

निजता का हनन कर रहा नगर निगम

सीनियर वकील प्रिंस लेनिन ने नगर निगम कर्मचारियों के लोगों के इस तरह वीडियो वायरल करने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह मानवाधिकार न केवल उल्लंघन है, बल्कि निजता का हनन भी है। सरकारी विभाग गलती करने पर जुर्माना कर सकता है, चालान कर सकता है। उन्हें ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन इस तरह वीडियो बना कर समाज में प्रसारित करना गैर कानूनी है।

कोर्ट लगा चुका है फटकार

सीनियर वकील प्रिंस लेनिन का कहना है कि साल 2019 के अंत में लखनऊ में सीएए-एनआरसी को लेकर हुए उपद्रव में दोषियों के पोस्टर चौराहों पर लगाए गए थे। इस पर पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाई और फिर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा था कि उन्हें आरोपियों का पोस्टर लगाने का अधिकार किस कानून के तहत मिला है।

जी-20 के लिए पूरे प्रदेश को सजाया गया था। स्वच्छता अभियान भी चलाया गया था, लेकिन कुछ लोग थूक कर रोड व डिवाइडर को गंदा कर रहे हैं। इसको लेकर आगरा और लखनऊ में पीकू अभियान चलाया गया, जहां 250 रुपए जुर्माना किया जा रहा है।

-नेहा शर्मा, राज्य मिशन निदेशक, नगरीय

यह कदम महज जागरूकता के लिए उठाया गया है। वीडियो में दिखने वाले लोग हमारे ही कर्मचारी हैं। हमारा विभाग लोगों की निजता का ख्याल रखता है।

-इंद्रजीत सिंह, नगर आयुक्त