लखनऊ (ब्यूरो)। आईपीएल शुरू होते ही शहर के सट्टेबाज भी एक्टिव हो गए हैं। सट्टा लगाने वाले ऑनलाइन व ऑफलाइन, दोनों तरह से सक्रिय हो गए हैं। मैचों में हर दिन लाखों रुपए के दांव लगते हैं। पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए सट्टेबाज कई तरह के हथकंडे भी अपना रहे हैं। वहीं, सट्टेबाजी रोकने के लिए पुलिस ने भी तैयारी कर ली है। इसके लिए खास टीम बनाकर निगरानी रखी जा रही है।

हाईटेक हो गए सट्टेबाज

आईपीएल मैच में सट्टेबाज अब हाईटेक हो गए हैं। वे अब मोबाइल और लैपटॉप से सट्टे के नंबर लगाने के साथ ही ऑनलाइन सट्टा लगाने लगे हैं। व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सट्टेबाजी की जा रही है, ताकि वे पुलिस की पकड़ में न आएं। सूत्रों के अनुसार, शहर के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर सट्टेबाजी चल रही है। बताया कि वह मोबाइल नंबरों से व्हाट्सएप पर नंबर लगवाता है। इसके अलावा हुक्का बार में भी आईपीएल मैच की सट्टेबाजी चल रही है। कई ग्रुप हर मैच व खिलाडिय़ों पर दांव लगा रहे हैं।

आईडी पासवर्ड का यूज

शहर में बैठे बुकी द्वारा संचालित वेबसाइट का आईडी पासवर्ड सट्टा खेलने वालों को उपलब्ध कराया जाता है। साथ-साथ ही नए तरीकों में ये बुकी एप व विशेष वेबसाइटों द्वारा भी इस कारोबार को संचालित करते हैं। आइपीएल में सट्टे के अवैध कारोबार पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है। शहर के कई इलाके में सट्टे का कारोबार होता है। पुलिस के राडार पर कई सट्टेबाज हैं। पुलिस ने इनकी धरपकड़ के लिए पूरी तैयारी कर ली है।

ऑनलाइन लगवाते हैं सट्टा

सूत्रों ने बताया कि शहर में सट्टे का कारोबार लंबे समय से चल रहा है। पूर्व में भी कई सट्टेबाज आइपीएल में ऑनलाइन सट्टा लगवाते रहे हैं। ठाकुरगंज समेत कई इलाके से पूर्व में पुलिस ने ऑनलाइन सट्टे का धंधा करने वालों को गिरफ्तार भी किया है। एसटीएफ ने भी इस बड़े खेल का खुलासा करते हुए कई गिरफ्तारी की है।

कमीशन पर काम करते थे आरोपी

आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि बुकी कमीशन व कटिंग के जरिए इस कारोबार में रकम कमाता है। जिसका कुछ हिस्सा उन लोगों को भी मिलता था। अगर बुकी एक परसेंट कमीशन पर काम कर रहा है तो 100 रुपया हारने पर मुख्य बुकी को एक रुपया कमीशन मिलता है, जीतने पर कुछ भी नहीं मिलता है। सट्टे के रेट के बारे में आरोपियों ने बताया कि अगर किसी मैच का रेट 42/44 खोलता तो इसका मतलब फेवरेट टीम को 42 और उसकी अपोजिट टीम को 44 का रेट दिया गया है। इसके तहत किसी फेवरेट टीम पर एक लाख लगाया तो बेट जीतने पर उसे 42 हजार रुपये मिलेंगे जबकि, जीतता है तो उसे एक लाख रुपये हासिल होंगे। छोटे बुकी द्वारा 42/44 रेट पर लगायी गयी तो बेट के पैसे से ही उसके ऊपर वाला बुकी अगर 43/45 की बेट लगाता है तो जीतने की दशा पर उसे अपने नीचे वाले व्यक्ति को 42 हजार रुपये देने पड़ेंगे और उसे 43 हजार रुपये प्राप्त होंगे।

पांच ओवरों के सेशन में सट्टेबाजी

पांच-पांच ओवरों के सेशन पर सट्टेबाजी होती है। एक दिन में 4 से 6 हजार रुपए का फायदा होता है। एक लाख से ज्यादा का सट्टा होने पर दूसरे बुकी को सट्टा ट्रांसफर कर देता था। इस तरह सट्टे का कारोबार आगे बढ़ते हुए दिल्ली, जयपुर और मुंबई में बैठे बुकी तक पहुंचता है।

मेन बुकी बच निकलते हैं

हर बार की तरह लोकल बुकी पुलिस के हाथ के हत्थे चढ़ते है जबकि मेन बुकी बच निकलते है। आईपीएल शुरू होने के बाद से पकड़े गए सट्टेबाजों को लेकर पुलिस की स्क्रिप्ट एक सी ही रहती है। सभी जगह हाईटेक और ऑनलाइन सट्टा रहा। हर बार लोकल बुकी पुलिस के हाथ से हत्थे चढ़ते है। 13 जी में पुलिस गैंगस्टर की कार्रवाई नहीं कर सकती। दूसरा बाजार से गिरफ्तारी में भी गैंगस्टर नहीं लग सकता।

आईपीएल मैच में सट्टेबाजी को लेकर निगरानी रखी जा रही है। ऑनलाइन साइट्स के साथ-साथ पूर्व में पकड़े गए सट्टेबाजों का डेटा भी तैयार किया जा रहा है। जिन ग्रुप व एरिया में सट्टेबाजी की सूचना है वहां पर स्थानीय पुलिस को एक्टिव किया गया है।

-अपर्णा रजत कौशिक, डीसीपी सेंट्रल