लखनऊ (ब्यूरो)। पिछले दिनों बंथरा में एक ई-रिक्शा चालक ने दो दोस्तों के साथ मिलकर एक महिला से दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी। इससे पहले भी ऐसे मामलों से राजधानी दहल चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि घर से बाहर निकलने के बाद इस तरह की सवारी गाड़ियों के चालकों से महिलाएं कितनी सेफ हैं? हैरानी की बात है कि पुलिस के पास भी इनका कोई रिकार्ड या कोई लेखाजोखा नहीं होता है, जिसका कई चालक फायदा उठाते हैं और किसी वारदात को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाते हैं। हालांकि, अब इनपर पुलिस की तरफ से लगाम लगाने के लिए ब्लूपिं्रंट तैयार किया जा रहा है।

केस-1

अक्टूबर 2022 में विभूतिखंड थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक टीचर से रेप का मामला सामने आया था। ऑटो ड्राइवर और उसके दोस्त ने चलती ऑटो में टीचर से रेप किया। इसके बाद उसके सिर पर हमला करने के बाद उसे हुसड़िया चौराहे के पास फेंककर फरार हो गए। इस वारदात के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था।

केस-2

जून 2017 में टेंपो चालक ने काकोरी के दुबग्गा में अपने साथियों के साथ मिलकर एक युवती से दुष्कर्म करने का प्रयास किया। युवती के विरोध करने पर आरोपी उसे चलती टेंपों से फेंककर फरार हो गए थे। जिससे उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद घरवालों ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप भी लगाया।

सभी सवारी गाड़ियों का वैरिफिकेशन

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शासन को एक प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें शहर में चलने वाली सवारी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन न कराने को लेकर अनुमति मांगी गई है, क्योंकि आरटीओ में दर्ज गाड़ियों की संख्या से ज्यादा गाड़ियां सड़क पर दौड़ रही है। जिनका रिकार्ड नहीं है। जब इन सभी का एक बार रिकार्ड मेनटेन होगा तो पुलिस को प्रॉपर गाड़ियों की संख्या के बारे में पता रहेगा। इसके बाद पुलिस राजधानी में दौड़ने वाली सभी सवारी गाड़ियों के मालिकों और चालकों का वैरिफिकेशन शुरू कर देगी।

70 हजार से ज्यादा दौड़ रहीं गाड़ियां

अधिकारियों के मुताबिक, राजधानी के अलग-अलग रूटों पर 70 हजार से अधिक सवारी गाड़ियां चल रही हैं। दावा किया गया है कि आरटीओ के पास इनका रिकार्ड मेनटेन है, लेकिन इस दावे की पोल तब खुल जाती है जब किसी आपराधिक मामले या फिर चालान कटने पर गाड़ी की नंबर प्लेट फर्जी मिलती है। कई बार यह भी सामने आता है कि कई लोगों ने अपनी नंबर प्लेट से एक या दो अंक मिटा लिए हैं, ताकि वे चालान यह पुलिस की पकड़ से दूर रहें।

इसलिए होगा वैरिफिकेशन

पुलिस अधिकारियों ने भी माना है कि राजधानी में कई अन रजिस्टर्ड गाड़ियां दौड़ रही हैं। इनमें सबसे अधिक ई-रिक्शा की संख्या है। इसके बाद ई-रिक्शा, ऑॅटो, टेंपो, डग्गामार बसें और कैब दौड़ रही हैं, लेकिन पुलिस के पास इन चालकों के न तो कोई रिकॉर्ड हैं और न ही उनका किसी तरह का वैरिफिकेशन हुआ है। ऐसे में कोई बड़ी घटना घटित हुई तो इनको पकड़ पाना काफी मुश्किल होगा। इसी को देखते सभी सवारी गाड़ियों के चालकों का वैरिफिकेशन कराने का फैसला लिया गया है। इस काम के पूरा होने के बाद एक तरफ जहां कुछ हद तक क्राइम कंट्रोल होगा, वहीं दूसरी तरफ सभी सवारी गाड़ियों के मालिकों और चालकों का रिकार्ड मेनटेन रहेगा।

ये होगा फायदा

- पुलिस के पास रिकार्ड मेनटेन होने पर चालकों में बना रहेगा डर

- देर रात सफर करने पर भी सवारी सुरक्षित महसूस करेगी

- महिलाओं से छेड़छाड़ से लेकर अन्य क्राइम घटेगा

यह भी जानिए

- रजिस्टर्ड से कहीं ज्यादा दौड़ रहीं सवारी गाड़ियां

- वैरिफिकेशन के बाद पुलिस के पास रहेगा सभी मालिकों और चालकों का रिकार्ड

- शहर में सबसे ज्यादा दौड़ रहे ई-रिक्शा और ऑटो

फैक्ट फाइल

- 44 हजार ई-रिक्शा

- 05 हजार ऑटो

- 03 हजार टेंपो

- 15 हजार कैब

राजधानी में सवारी गाड़ियों के ज्यादा रजिस्ट्रेशन होना पुलिस के लिए भी चुनौती है। लिमिटेड रजिस्ट्रेशन करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। मुहर लगते ही रजिस्ट्रेशन गाड़ियों की संख्या क्लीयर हो जाएगी, जिसके बाद सभी सवारी गाड़ियों के मालिक और चालकों का पुलिस वैरिफिकेशन शुरू कर दिया जाएगा, ताकि पुलिस विभाग में इनका रिकार्ड बना रहे।

-उपेंद्र अग्रवाल, जेसीपी, लॉ एंड आर्डर