लखनऊ (ब्यूरो)। मौसम में बदलाव के साथ ही लोगों में कई तरह की समस्याएं होने लगती है। खासतौर पर अस्थमा के मरीजों के लिए दिक्कतें ज्यादा बढ़ जाती हैं। बारिश और नमी के चलते उन मरीजों को एलर्जी भी हो जाती है। राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉक्टर्स के अनुसार, मौसम में बदलाव अस्थमा को ट्रिगर करता है, जिसकी वजह से सांस लेने में समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में दवा लेते रहें और कोई भी दिक्कत होने पर डॉक्टर को तुरंत दिखायें।

45-50 मरीज रोज आ रहे

केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रो। संतोष कुमार ने बताया कि मौसम में बदलाव अस्थमा मरीजों के लिए ट्रिगर का काम करता है, क्योंकि बारिश के मौसम में नमी ज्यादा होती है। जिसकी वजह से फंगस ग्रो करता है। ऐसे में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा धूप कम निकलने की वजह से एलर्जी कारक बढ़ जाते हैं। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को समस्या होती है। इस समय ओपीडी में 40-50 मरीज अस्थमा की समस्या वाले आ रहे हैं।

लापरवाही से बढ़ती है समस्या

बलरामपुर अस्पताल में सीनियर चेस्ट फीजीशियन डॉ। एके गुप्ता ने बताया कि जब भी मौसम में बदलाव आता है, अस्थमा मरीजों की दिक्कतें बढ़ जाती है। उन मरीजों को खासतौर पर ज्यादा परेशानी होती है, जो समय पर इन्हेलर नहीं लेते या दवा की डोज को अपने हिसाब से कम कर देते है। इसके अलावा, ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक वगैरह पी रहे हैं या आइसक्रीम खा रहे हैं, तो समस्या बढ़ जाती है। ये सभी ठंडक बढ़ाने का काम करते हैं, जिसकी वजह से घरघराहट, खांसी, सांस लेने में समस्या, वायु मार्ग में सूजन या जकड़न होने लगती है। इस तरह की समस्या वाले ओपीडी में रोजाना 5-10 पर्सेंट मरीज आ रहे है। सभी को सलाह दी जा रही है कि इन्हेलर अपने पास रखें और खुद से दवा की डोज में कोई बदलाव न करें। वहीं, सिविल और लोकबंधु में भी 10-15 फीसदी मरीज इसी समस्या को लेकर आ रहे है।

ऐसे करें बचाव

- समय पर इन्हेलर लें

- समय पर दवा की पूरी डोज लें

- दवा या इन्हेलर बीच में न बंद करें

- डॉक्टर से समय पर परामर्श लेते रहें

- भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचें

इसलिए बढ़ रही समस्या

- आराम मिला तो दवा लेने में लापरवाही

- इन्हेलर का इस्तेमाल बंद करना

- डॉक्टर का परामर्श न मानना

मौसम में बदलाव और नमी अस्थमा को ट्रिगर करने का काम करते हैं। इन्हेलर लेना न छोड़ें और दवा समय पर लें। खुद से अपना इलाज न करें।

-प्रो। संतोष कुमार, केजीएमयू