लखनऊ (ब्यूरो)। सुशांत गोल्फ सिटी में अपने ऑफिस में रियल एस्टेट कारोबारी आदित्य मिश्रा ने जिस पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या की थी, वह पूर्वांचल के एक माफिया की थी। उस माफिया को एसटीएफ ने 5 जनवरी को एनकाउंटर में मार गिराया था। इसका खुलासा आदित्य मिश्रा के ऑफिस से मिले सुसाइड नोट से हुआ। बता दें कि मंडे को आदित्य ने अपने ऑफिस में पिस्टल से गोली मारकर सुसाइड कर लिया था। सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस घटना के पीछे के कारणों की जांच कर रही है। पुलिस को आदित्य का लिखा चार पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। पुलिस हैंड राइटिंग एक्सपर्ट की मदद से सुसाइड नोट की जांच करा रही है।

विनोद उपाध्याय की थी पिस्टल

सूत्रों के अनुसार, गोमती नगर में रहने वाले आदित्य मिश्रा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि यह पिस्टल गोरखपुर के विनोद उपाध्याय की है। इसके बारे में आदित्य ने किसी से भी कोई जानकारी शेयर नहीं की थी। बता दें कि विनोद उपाध्याय पूर्वांचल का बड़ा माफिया था, जिसे एसटीएफ ने इसी साल 5 जनवरी को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।

क्लीयरेंस न मिलने से थे डिप्रेशन में

सूत्रों के अनुसार, आदित्य मिश्रा सुल्तानपुर रोड पर संस्कार नगरम नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू कर रहा था। जमीनों की खरीद-फरोख्त भी हो चुकी थी। हालांकि, कई विभागों से उनकी कंपनी को क्लीयरेंस नहीं मिल पा रहा था। वह इस प्रोजेक्ट में काफी पैसा फंस चुके थे, जिसे लेकर वह काफी दिनों से परेशान थे।

काफी चर्चा में रहते थे

वर्ष 2004 में लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता उपेंद्र सिंह उर्फ मोनू की हत्या में आदित्य मिश्रा आरोपी थे। इसके अलावा लुलु मॉल में हनुमान चालीसा पढ़ने के मामले में भी जेल गए थे। चर्चा है कि उसकी कार बुलेटप्रूफ थी। इसके अलावा, फिल्म इंडस्ट्री में भी उसका काफी पैसा लगा था। कई डायरेक्टर व अभिनेताओं से उसके अच्छे रिलेशन थे और वह उनके ऑफिस आ चुके थे। इसके अलावा, राजनीति में भी वह काफी एक्टिव थे और कुछ दिन पहले ही उन्होंने गोसाईगंज इलाके में कई जोड़ों की शादी कराके घर वापसी कराई थी।

प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया

सूत्रों के अनुसार, पुलिस को आदित्य के पास से मिले सुसाइड में लिखा है, 'विनय भइया प्रणाम, मेरे पास कुछ नहीं बचा है। आपसे ज्यादा मैं किसी पर भरोसा नहीं करता हूं। संस्कार नगरम प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया, माफ कर देना। अब कोई रास्ता नहीं बचा है। अखिलेश, तुमने मेरा बहुत साथ दिया। अब बहुत कष्ट में हूं। संस्कार नगरम नहीं बस पाया। जमीन बेचकर मेरे बच्चों को पैसे दे देना, जिससे वे पल जाएं वरना उनकी जिंदगी खराब हो जाएगी। बड़ा एहसान होगा।'