लखनऊ (ब्यूरो)। लोहिया संस्थान में एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुके छात्रों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दरअसल, एमबीबीएस की मान्यता बायोमेट्रिक हाजिरी के फेर में अटक गई है। नतीजतन एमबीबीएस पास कर चुके छात्र नेशनल मेडिकल कमीशन में रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं। जिसके कारण ये छात्र न तो पीजी में एडमीशन ले सकते हैं और न ही किस संस्थान में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। करीब 150 छात्रों को अपने भविष्य को लेकर चिंता सता रही है।

फिंगर प्रिंट की व्यवस्था की जा रही

एनएमसी के मानक के अनुसार, फिंगर प्रिंट युक्त बायोमेट्रिक से हाजिरी लगाना मान्य है, जो आधार से जुड़ा होना चाहिए। संस्थान में फेस रिकग्निशन की व्यवस्था थी। इसकी वजह से छात्रों की हाजिरी मान्य नहीं हुई। नतीजतन, एनएमएसी ने अंतिम वर्ष की डिग्री को मान्यता नहीं दी है। एनएमसी ने दोबारा संस्थान के मानकों को परखने के लिए जायजा लिया है। संस्थान प्रशासन का कहना है कि फेस रिकग्निशन के स्थान पर फिंगर प्रिंट की व्यवस्था शुरू करने के लिए नई मशीन लगानी पड़ीं। इसकी व्यवस्था में थोड़ा वक्त लग गया। अब इसकी व्यवस्था हो गई है। इसकी सूचना भी आयोग को दी जा चुकी है।

लोहिया के डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप

लोहिया संस्थान के एक डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने के चलते मरीज की मौत का आरोप लगा है। बिहार के वैशाली स्थित लालगंज निवासी 22 वर्षीय ऋषि कांत की रीढ़ की हड्डी में हर्ष फायरिंग के दौरान गोली लग गई थी और वह दोनों पैर से लकवाग्रस्त हो गया था। पिता राम निरंजन के मुताबिक, पहले बेटे को इंदिरा नगर के एक फिजियोथेरेपी सेंटर में दिखाया। जहां इलाज के दौरान गिरने से समस्या बढ़ गई। इसके बाद उसे लोहिया संस्थान लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद करीब एक माह बाद ऑपरेशन किया। समय पर ऑपरेशन न होने से बेटे की हालत बिगड़ गई और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई। मामले को लेकर पिता ने आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की। स्वास्थ्य विभाग को मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट नेशनल मेडिकल कमीशन में भी भेजने की तैयारी की है।