लखनऊ (ब्यूरो)। मोटी कमाई के चलते स्कूल ही नहीं बल्कि स्कूली वाहन विक्रेता भी मासूमों की जान खतरे में डालने से परहेज नहीं कर रहे हैं। बिना पंजीकृत स्कूली वाहन में बच्चों को ढोया जा रहा था। इसकी जानकारी मिलते ही परिवहन विभाग के अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए। आनन-फानन में अधिकारियों ने एक ऐसी ही बस को पकड़ कर न केवल बंद किया बल्कि स्कूल, स्कूली वाहन संचालक और बस की विक्रेता फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तहरीर भी दी गई।

आरटीओ कार्यालय में पंजीकरण ही नहीं कराया

एआरटीओ प्रवर्तन अमित राजन राय ने बताया कि वृंदावन योजना के मुख्य मार्ग पर एक नई स्कूली बस को जांच के लिए रोका गया। इस बस में बच्चे भी मौजूद थे। बस पर सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल से-डी, पॉकेट-3 अंसल सिटी लखनऊ लिखा था। इस बस का आरटीओ कार्यालय में पंजीकरण ही नहीं था। सिर्फ बस को पीले रंग में रंगवा कर संचालन शुरू कर दिया गया। बस चालक के अनुसार, बीते गुरुवार से ही इस बस का संचालन शुरू हुआ है।

वाहन विक्रेता के खिलाफ भी एक्शन

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, पंजीकरण के बाद बस को स्कूल का परमिट दिया जाता है। फिर इसमें सुरक्षा मानकों को देखा जाता है। साथ ही, चालक का लाइसेंस चेक किया जाता है। पांच साल पुराना चालक ही स्कूली वाहनों को चला सकता है। इन सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद बस को सड़क पर चलने की अनुमति दी जाती है। इस मामले में संबंधित स्कूल प्रशासन, संचालक और वाहन विक्रेता के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पत्र लिखा गया है। वाहन विक्रेता फैजाबाद रोड स्थित बस, ऑटोमूवर्स प्रा। लि। ने बिना नंबर की यह बस स्कूल प्रबंधन को संचालन के लिए दी है। ऐसे में विक्रेता को छोड़ा नहीं जा सकता।

स्कूल के खिलाफ दी एफआईआर की तहरीर

शुक्रवार को चेकिंग के दौरान जीडी गोयनका स्कूल की बस संख्या यूपी 32 ईएन 5824 में बच्चों की सुरक्षा के मानक पूरे नहीं मिले। बस के पिछले हिस्से में शीशा ही नहीं लगा था। गत्ते से बस के पिछले हिस्से को ढका गया था। इस वाहन में स्पीड गवर्नर और अग्निशमन यंत्र भी नहीं पाया गया। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सुसंगत धाराओं में सुशांत गोल्फ सिटी थाने में एफआईआर दर्ज कराने की तहरीर दी गई है। बस को आरटीओ के प्रवर्तन दस्ते ने जब्त कर लिया है।