लखनऊ (ब्यूरो)। लोहिया संस्थान में ऑनलाइन शुल्क जमा घोटाला मामले में जांच ठंडे बस्ते में चली गई है। अभी तक कितनी रकम अकाउंट में जमा नहीं हुई है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है, जबकि संस्थान को इसकी जानकारी मार्च माह में ही मिल गई थी। ऐेसे में करीब चार माह बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है, इसलिए जांच का दायरा बढ़ाया गया है। इसकी वजह से समय लग रहा है। जल्द ही इसकी तह तक पहुंच जायेंगे।

तीन साल के डाटा की होगी जांच

लोहिया संस्थान में जांच, भर्ती व दवा आदि के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से पैसा जमा होता है। यहां की ओपीडी में रोजाना तीन हजार से अधिक मरीज दिखाने आते हैं, जो ऑनलाइन भी शुल्क जमा करते हैं। हाल ही में ऑनलाइन जमा हो रहे शुल्क के खाते में नहीं पहुंचने का मामला उजागर हुआ था, जिसके बाद संस्थान द्वारा पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी गई। वहीं, मामले में चार संविदा कर्मचारियों समेत एजेंसी पर एफआईआर भी दर्ज करा दी गई थी। पर असल में कौन दोषी है इसके बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा है, जबकि संस्थान का खुद का अकाउंट डिपार्टमेंट है। संस्थान में हॉस्पिटल इंफार्मेशन सिस्टम भी लागू है। ऐसे में, ऑनलाइन शुल्क जमा की जानकारी न होना बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है।

मामले को लेकर अभी जांच चल रही है। संस्थान के फाइनेंस कंट्रोलर जांच कर रहे हैं। जल्द ही जांच रिपोर्ट आ जायेगी। जो भी दोषी होगा उसको बख्शा नहीं जायेगा।

-डॉ। राजन भटनागर, सीएमएस, लोहिया संस्थान