लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में रामलीला मंचन का चलन बेहद पुराना है। जहां पर अवध की गंगा-जुमनी तहजीब की झलक देखने को मिलती है। खासतौर पर बख्शी का तालाब की रामलीला कई लिहाज से बेहद खास है। क्योंकि यहां रामलीला के मुख्य किरदार मुस्लिम समाज के लोग पूरी श्रद्धा के साथ निभाते हैं। रामलीला की शुरुआत अक्टूबर 1972 में हुई थी। इसकी खास बात यह है कि यहां रामलीला दशहरा वाले दिन से होती है। इस वर्ष बीकेटी दशहरा मेला 24-26 अक्टूबर को आयोजित होगा।

इस तरह पड़ी रामलीला की नींव

बीकेटी दशहरा मेला कमेटी के सदस्य नागेंद्र बहादुर सिंह चौहान ने बताया कि इस रामलीला की नींव रुदही ग्राम पंचायत के तत्कालीन ग्राम प्रधान स्व। मैकूलाल यादव एवं बीकेटी कस्बे के समाजसेवी डॉ। मुज्जफर हुसैन ने डाली थी। रामलीला के मंचन में मुस्लिम कलाकार बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस रामलीला की दो खास बातें हैं। पहला, इस रामलीला की स्थापना, व्यवस्था, प्रबंधन, अभिनय एवं दर्शन से मुस्लिम बंधुओं का गहरा नाता है। दूसरा, यह रामलीला मैदान में खेली जाती है। इसके कुछ हिस्से मंच पर मंचित होते हैं। जबकि संपूर्ण रामलीला मैदान में खेली जाती है। पहले इस मेले का आयोजन रुदही ग्राम पंचायत करवाती थी। रामलीला मंचन की संपूर्ण जिम्मेदारी मो। साबिर खान पर है। रामलीला को लेकर मंगलवार से रिहर्सल शुरू हो जायेगी।

बीते 40 वर्ष से कर रहा अभिनय

मो। साबिर बताते है कि वह पिछले 40 साल से रामलीला में अभिनय कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मैंने 10 वर्ष की उम्र में जटायु का किरदार निभाया था। इसके अलावा रावण, जनक, विभीषण समेत अन्य किरदारों को भी निभा चुका हूं। अब मैं निर्देशन का काम देख रहा हूं। यह रामलीला अब हम लोगों के जीवन का एक हिस्सा बन चुकी है।

सलमान राम, तो अली बने सीता

रामलीला की सबसे खास बात यह है कि मुस्लिम समाज के लोग इसमें मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। जहां सलमान राम तो स्टूडेंट अली पहली बार सीता का किरदार निभाने जा रहे हैं, जबकि लक्षमण का रोल अरबाज, राम के बाल्यकाल का रोल साहिल खान, जनक का रोल शेर खान, हनुमान सुजीत यादव, परशुराम व मेघनाद का सतीश मौर्य और अंगद का रोल अजय मौर्य निभा रहे हैं।