Lucknow: स्कूल कभी शिक्षा का मंदिर हुआ करते थे, लेकिन अब यह बिजनेस प्वाइंट बन गए हैं। पैरेंट्स को हलाल करने के लिए स्कूल हर तरह का तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं। फीस कई गुना बढ़ा कर स्कूल पहले ही पैरेंट्स की जेब पर डाका डाल रहा है.
बची हुई कसर पूरी करने के लिए सिटी के कई स्कूलों ने अपने यहां पर कापी किताबों की दुकान खोल ली है, यहां तक कि ड्रेस भी पैरेंट्स को स्कूल ही बेच रहा है। शनिवार को ऐसे ही दो स्कूलों में आई नेक्स्ट ने स्टिंग किया। जहां पर पैरेंट्स को कैसे नोचा जा रहा है पेश है एक रिपोर्ट।
operation 1
स्थान - अलीगंज डंडैया बाजार स्थित टाउन हॉल पब्लिक स्कूल जहां रिपोर्टर पैरेंट्स बन कर पहुंचा.
रिपोर्टर- सर मुझे अपनी बच्ची का एडमिशन नर्सरी में कराना है
क्लर्क- हो जाएगा, कहां पर रहते हैं आप
रिपोर्टर- जी, अलीगंज में, क्या फीस है?
क्लर्क- हेड क्लर्क पैसे गिनने में मसरुफ थे इसलिए वह दूसरे एम्प्लाई से बोले अरे सर को फीस बताओ। तभी दूसरा क्लर्क रिपोर्टर को अपनी सीट पर बैठने को कहता है। देखिए सौ रुपए का फार्म है.
रिपोर्टर- प्लीज मैं भूल जाऊंगा इसलिए आप लिख कर दे दीजिए.
क्लर्क कागज पर लिखना शुरू करता है। 100 रुपए का फार्म, 1500 रुपए एडमिशन फीस, 1200 एनुअल डेवलपमेंट चार्ज और 650 रुपए मंथली फीस
रिपोर्टर- कुछ डिस्काउंट नहीं हो सकता, तभी हेड क्लर्क की आवाज आती है कि पहले आप एडमिशन तो लें। किताबों की लिस्ट अगर हो तो दे दीजिए, मैं उनको बाजार से खरीद लूंगा.
क्लर्क- किताबें बाहर से खरीदने की कोई जरूरत नहीं है आप को सब यहीं से मिल जाएगा.
रिपोर्टर- यहीं से मतलब
क्लर्क- बच्चे को किताबें स्कूल से ही दी जाती हैं, बस आप को पैसा देना है.
रिपोर्टर- कितना पैसा देना है?
क्लर्क- 1400 रुपए देने होंगे
रिपोर्टर- यह कुछ ज्यादा नहीं हुए अगर आप मुझे लिस्ट दे दें तो मैं बाजार से कम दामों में ले सकता हूं क्योंकि मेरे एक दोस्त की किताबों की दुकान है। इसी बीच पास खड़ा एक चपरासी बोल पड़ता है। हमारे पब्लिशर्स अलग हैं। वह आप को बाजार में नहीं मिलेंगे। यह समझ लीजिए कि किताबें खरीदना अनिवार्य है.
रिपोर्टर- सर फीस में नहीं तो कम से कम किताबों में तो कुछ कम करें.
क्लर्क- इसके लिए आप को प्रिसिंपल मैम से बात करनी होगी.
इसके बाद रिपोर्टर को प्रिसिंपल शालिनी अहमद से मिलने के लिए उनके आफिस में भेज दिया जाता है.
प्रिसिंपल शालिनी- कितने साल की है, आप की बेटी
रिपोर्टर- जी, थ्री प्लस है। मैम फीस बहुत ज्यादा है 5250 रुपए कुछ डिस्काउंट मिल जाए तो अच्छा है.
प्रिसिंपल- देखिए हम लोग पहले से ही डिस्काउंट कर चुके हैं इसलिए इसमें कुछ नहीं किया जाता है.
रिपोर्टर- क्या मैं किताबें बाहर से नहीं खरीद सकता हूं?
प्रिसिंपल मैम- जी नहीं, किताबें आप को यहीं से लेनी होंगी.
रिपोर्टर- ठीक है, मैम फिर मैं कल अपनी बेटी के साथ आता हूं (इसके बाद प्रिसिंपल ने रिपोर्टर की बेटी का नाम और एड्रेस रजिस्टर में नोट कर लिया.)
operation 2
लिटिल लर्नर एकेडमी
फीस, कापी, किताबें और स्टेशनरी के नाम पर स्कूल पैरेंट्स को नोंच रहे हैं। बच्चे के फ्यूचर और मजबूरी में पैरेंट्स भी स्कूल की तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद करने में कतरा रहे हैं। शनिवार की सुबह एक पैरेंट का फोन आया कि चौक स्थित लिटिल लर्नर एकेडमी में स्कूल से पैरेंट्स को कापियां किताबें बेची जा रही हैं.
इसके बाद जब रिपोर्टर वहां पर पहुंचा तो काउंटर पर पैरेंट्स लाइन में लगे हुए थे। अंदर बैठा क्लर्क उनको किताबें बेच रहा था। मौके पर पहुंच कर आई नेक्स्ट फोटोग्राफर ने जब फोटो क्लिक करना शुरू की तो वहां पर हड़कंप मच गया। यही नहीं जब फोटोग्राफर बाहर निकल के जाने लगा तो वहां के चपरासियों ने उसे रोकने में नाकाम रहने पर उसकी बाइक का नम्बर भी नोट कर लिया.
8 पन्नों की किताब 70 रुपए की
हिन्दी की आठ पन्नों की किताब जिसका रेट है करीब 70 रुपए। किताब पर जो प्रिंट है उसी दाम पर खरीदना पैरेंट्स की मजबूरी है। डिस्काउंट की बात भी करना यहां पर पाप है। जी हां, यह हाल चौक स्थित लिटिल लर्नर एकेडमी का। पैरेंट्स का कहना है कि 6 किताबों और 4 नोट बुक के स्कूल 800 रुपए तक वसूल रहा है। यही नहीं इसकी रसीद तक पैरेंट्स को नहीं दी जा रही है। अगर कोई पैरेंट्स रसीद की बात भी करता है तो कहा जाता है कि बाद में मिल जाएगी.
प्रशासन करे सख्त कारवाई
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ आरपी मिश्र कहते हैं कि स्कूल बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के बजाए पैरेंट्स को लूटने का अड्डा बन गए हैं। बाकायदा कई स्कूलों ने तो कैंपस के अंदर ही कापी किताबें और स्टेशनरी की दुकानें सजा ली हैं। जिला प्रशासन को ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में जल्द ही एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा और स्कूलों के खिलाफ सख्त कारवाई करने की मांग की जाएगी.
डीआईओएस ने लिखा डीआईजी को लेटर
लखनऊ डीआईओएस उमेश त्रिपाठी ने डीआईजी को एक लेटर लिखा है। जिसमें उनसे कहा गया है कि वह स्कूलों के अंदर अवैध तरीके से कापियां और किताबें बेचने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि वह थानों को निर्देश जारी करें कि अगर कोई पैरेंट्स स्कूल के खिलाफ इस तरह की शिकायत लेकर आता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए।
आपके लिए हेल्पलाइन
अगर आप भी किसी स्कूल की बढ़ी फीस यह अवैध वसूली से परेशान है तो आप आई नेक्स्ट रिपोर्टर अब्बास रिजवी को 9455555705 पर काल कर सकते हैं। हम आप की बात संबंधित अधिकारी तक पहुंचाएंगे। यह फिर आप dioslko123@yahoo.com पर सीधे मेल करके डीआईओएस उमेश त्रिपाठी को शिकायत भेज सकते है.

स्कूलों के अंदर कापी किताबें बेचना अपराध है, इन दोनों स्कूलों के खिलाफ एफआईआर की जाएगी। इसके साथ साथ उन पर सख्त कारवाई भी की जाएगी.
उमेश त्रिपाठी, डीआईओएस लखनऊ

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