लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आप केजीएमयू में मरीज को दिखाने ले जा रहे हैं तो पहले पता कर लें कि वहां सर्वर ठीक से काम कर रहा है कि नहीं। जी हां, यहां आए दिन सर्वर डाउन होने की समस्या आ रही है। गुरुवार को भी सुबह 9 बजे के करीब यहां सर्वर डाउन हो गया, जिसके चलते रजिस्ट्रेशन, जांच आदि का काम प्रभावित रहा। वहीं बहुत से मरीज बिना दिखाए ही घर वापस लौट गए।

घंटों ठप रहा सर्वर

केजीएमयू में रजिस्ट्रेशन से लेकर जांच तक सभी कामों के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है। गुरुवार को सुबह करीब 9 बजे सर्वर ठप हो गया। मरीज जांच फीस जमा करने के लिए इधर-उधर भटकते रहे। सर्वाधिक समस्या ट्रामा सेंटर में मरीजों को उठानी पड़ी। तीमारदार फीस जमा करने के लिए घंटों लाइन में लगकर सर्वर ठीक होने का इंतजार करते रहे।

रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार

सर्वर ठप होने से मरीजों की रिपोर्ट भी उन्हें समय से नहीं मिल सकी। रिपोर्ट काउंटर पर भी लंबी लाइन इस दौरान लग गई। ट्रामा सेंटर, गांधी वार्ड, शताब्दी अस्पताल और ओपीडी में लगी मरीजों और तीमारदारों की कतारें दोपहर 1 बजे के बाद ही कम हुई। सर्वर ठप होने के कारण बड़ी संख्या में मरीज बिना डॉक्टरों को दिखाए ही वापस लौट गए।

एनआईसी की दिक्कत थी लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था कर काम चलाया गया। मैन्यूल पर्चे बनाए गए। किसी मरीज को कोई समस्या नहीं आने दी गई है।

- डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

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सीएचसी पर भी मिलेगा मानसिक रोगों का इलाज

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मानसिक स्वास्थ्य संबंधित जांच और इलाज मिलेगा। इसके लिए डॉक्टरों को ट्रेनिंग भी दी जायेगी। ऐसे में, ग्रामीण क्षेत्रों के मानसिक मरीजों को इलाज के लिए शहर का रुख नहीं करना पड़ेगा। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ। आरके चौधरी के मुताबिक, आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। सप्ताह में दो दिन सीएचसी पर जिले से टीम जाकर मानसिक रोगियों की जांच व इलाज करती है। इसके अलावा मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को प्रमाणपत्र भी दिए जाते हैं। सीएचसी के डॉक्टरों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि लक्षण के आधार पर मानसिक रोगियों की पहचान की जा सके। समय पर इलाज से मानसिक रोगी पूरी तरह ठीक हो सकते हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं।