लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी बनी हुई है। मरीजों को मानसिक रोग की दवाएं अस्पतालों में मरीजों को पूरी नहीं मिल पा रही हैं। बलरामपुर अस्पताल में मनोचिकित्सक मरीजों को देखते हैं और दवाएं लिखते हैं लेकिन दवा काउंटर से उन्हें अधिकतर दवाएं नहीं मिलती हैं। वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि दवाओं के लिए कारपोरेशन को कई बार लिखा जा चुका है।

वैकल्पिक दवाओं से चल रहा काम

राजधानी के सरकारी अस्पताल बलरामपुर और सिविल में मानसिक रोग की दवाओं की कमी के कारण वैकल्पिक दवाओं से काम चलाया जा रहा है। वहीं बहुत से मरीज लिखी गई दवाएं निजी मेडिकल स्टोरों से लेने के लिए मजबूर हैं। गौरतलब है कि बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में मनोरोग के रोज करीब 65 मरीज दिखाने आते हैं।

नहीं मिल रही ये दवाएं

- सोडियम वैल्पोरेट 500

- कार्बमजेपाइन

- लोरेजपाम

- क्लोनाजेपम

- प्रोपेनोलोल

- क्वेटीपाइन

- सर्टेलाइन

- फ्लाक्सेटाइन

नोट- इसके अलावा भी कई अन्य दवाएं मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं।

कारपोरेशन से नहीं मिल रही दवा

बलरामपुर अस्पताल प्रशासन के अनुसार दवाओं की कमी को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। दवाओं की कमी है और इसके लिए कारपोरेशन को कई बार लिखा जा चुका है। वहीं सूत्रों का कहना है कि एक ओर कारपोरेशन में दवाएं रखे-रखे बेकार हो जाती हैं, वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में दवाएं नहीं भेजी जा रही हैं। जो दवाएं भेजी भी जाती हैं, वह डिमांड से कम आती हैं। ऐसे में मरीजों को कम दवाएं देकर किसी तरह काम चलाया जाता है। गरीब मरीजों को इससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

जल्द मिलेंगी सभी दवाएं

बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ। जीपी गुप्ता ने बताया कि यहां मनोरोगियों के इलाज के लिए सभी दवाएं उपलब्ध हैं। जो दवाएं नहीं हैं, उनकी सप्लाई के लिए कारपोरेशन को लिखा गया था। कारपोरेशन के एमडी से बात कर उनको दवाओं की लिस्ट उपलब्ध करा दी गई है। लोकल परचेज से भी दवाएं खरीदी जा रही हैं। अगर किसी मरीज को दवाएं नहीं मिल रही हैं तो वह सीएमएस ऑफिस आकर भी बात कर सकता है। जल्द ही यहां सभी दवाएं मिलने लगेंगी।