- ताजिया खरीदारों की लगी भीड़, घरों में मातम मजलिस का दौर शुरू

LUCKNOW: मरकजी चांद कमेटी ने गुरुवार को मुहर्रम का चांद दिखने का एलान किया। इसके साथ ही गम के महीने की पहली तारीख शुक्रवार को होगी। चांद रात से ही घरों में ताजिया स्थापना के लिए खरीदारी भी शुरू हो गई। मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना अबुल इरफान मिया फरंगी महली, इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने चांद की घोषणा की।

फूलों की चादर की खरीदारी शुरू

हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में शिया मुस्लिमों की आंखों से जार-ओ-कतार आंसू जारी हो गए। पुराने शहर के शिया बाहुल्य क्षेत्रों में या हुसैन या हुसैन की सदाएं गूंजने लगी हैं। शिया मुस्लिमों ने कर्बला के शहीदों का गम मनाने के लिए रंग-बिरंगे कपड़े उतार कर काले कपड़े पहन लिए। महिलाओं ने भी जेवर व चूडि़यां उतारकर काले लिबास पहन लिए। तबर्रुक, हार-फूल, अलम के लिए फूल के सेहरे, इमामबाड़े के लिए फूलों के पटके और ताबूत के लिए फूलों की चादरों की भी खरीदारी की जा रही है।

जरीह व ताजियों की खरीदारी

मुहर्रम का चांद देखने के बाद अजादार अपने घरों के इमामबाड़ों को देर रात तक सजाते रहे। इमामबाड़ों में अलम-पटके, ताबूत और मिम्बर सजाकर रखे जाते हैं। इसके बाद इसमें विभिन्न प्रकार ताजिए लाकर रखे जाते हैं। जरीह और ताजियों की खरीदारी अजादार दिन भर करते रहे। शुक्रवार को भी जरीह और ताजियों की खरीदारी होगी। कुछ लोग अजाखानों को पहली मुहर्रम पर सजाते हैं। हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के शहीदों के गम का यह सिलसिला दो महीने आठ दिन चलेगा। इस दौरान वह अच्छे भोजन व समारोह से भी परहेज करेंगे।

आज नहीं निकलेगा शाही जरीह का जुलूस

हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों की याद में पहली मुहर्रम (शुक्रवार) को आसिफी इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस कोरोना वायरस को देखते हुए नहीं निकाला जाएगा। आसिफी इमामबाड़े के प्रभारी हबीबुल हसन ने बताया कि जुलूस में 22 फीट की मोम की और 17 फीट ऊंची अभ्रक की जरीह मुख्य आकर्षण का केंद्र होती थी। यह खूबसूरत जरीह बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक हजारों अकीदत मंदों के साथ जाती थी, जिसे कोविड-19 और सरकार की गाइडलाइन के चलते स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जो चार जरीहयां बनी हैं, उनमें एक जरीह को छोटे इमामबाड़े में, एक बड़े इमामबाड़े में और दो इमामबाड़ा शाहनजफ में रखा जाएगा।

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इमामबाड़ा ग़ुफरानमाब की मजलिस करने पर अड़े कल्बे जवाद

शिया धर्मगुरु व इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद मुहर्रम में शारीरिक दूरी के साथ और कोरोना संक्रमण की सरकारी गाइड लाइन को मानते हुए इमामबाड़ा ग़ुफरानमाब में मजलिस करने पर अड़ गए हैं। मौलाना ने पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय से मुलाकात कर मजलिस से रोक हटाने की मांग की। मौलाना कल्बे जवाद ने इमामबाड़ा ग़ुफरानमाब में मुहर्रम में होने वाली मजलिस पर रोक लगाने के संबंध में पुलिस की ओर से दी गई नोटिस पर नाराजगी जताई। मौलाना ने लखनऊ पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने नोटिस को गाइडलाइन के खिलाफ और असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि नोटिस लोगों को भ्रमित करने के लिए लिखा गया मालूम होता है। मौलाना ने कहा कि अकीदतमंदों को घरों में भी ताजिया रखकर अजादारी नहीं करने दी जा रही है और ताजियों की बिक्री करने वालों को भी डराया जा रहा है। उन्होंने कहा की मुहर्रम की पहली तारीख से इमामबाड़ा गुफरानमाब के अंदर अजादारी के सभी कार्यक्रम 40 से 50 अकीदतमंदों की मौजूदगी में गाइडलाइन का पालन करते हुए किए जाएंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर पुलिस उनकी गिरफ्तारी करती है तो इसका विरोध न किया जाए और गाइडलाइन का पालन भी किया जाए।