लखनऊ (ब्यूरो)। इंडियन्स की स्किन में मेलेनिन ज्यादा होता है। ल्यूकोडर्मा होने पर ये सेल डेड हो जाते हैं, जिससे वहां पर ब्राउन कलर नहीं आता है और वहां की स्किन सफेद हो जाती है। यदि किसी के शरीर पर सफेद दाग हैं, पर ऐसे दाग जो तीन साल से न तो बढ़ रहे हैं और न ही कम हो रहे हैं, तो पीड़ित को प्लास्टिक सर्जन से एकबार जरूर मिलना चाहिए। इसका इलाज स्किन रिप्लेसमेंट के जरिए संभव है। जिसमें उस पैच को निकालकर स्किन ग्राफ्टिंग की जाती है। इससे प्रभावित स्किन पहले जैसे हो सकती है, पर इससे पहले डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह ली जाती है। यह जानकारी शनिवार को पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस के आयोजन पर हेड डॉ। राजीव अग्रवाल ने दी। वहीं, निदेशक प्रो। आरके धीमन ने विभाग के स्थापना दिवस पर बधाई दी।

90 फीसदी सुधार संभव

कार्यक्रम के दौरान डॉ। राजीव अग्रवाल ने बताया कि पहले लोग चेहरे पर कोई विकृति होने पर प्लास्टिक सर्जरी करवाते थे। पर अब लोग, खासतौर पर युवा सुंदरता बढ़ाने के लिए भी सर्जरी करवा रहे हैं। नाक की बनावट खासतौर पर सही करने के लिए सर्जरी बेहद आम हो गई है। विभाग में हर माह 25 से 30 लड़कियां और लड़के नाक की बनावट को सुंदर बनाने के लिए आ रहे हैं, जिसमें नाक की बनावट ठीक करने के लिए राइनोप्लास्टी की जा रही है। क्योंकि नाक की बनावट में कई तरह की खराबी होती है। जैसे नाम दबी होना, टेढ़ी होना सहित अन्य शामिल है। नाक पर सबसे पहले लोगों की नजर पड़ती है। नाक सुंदर न होने पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है। नाक ठीक करने की 10 से 12 तकनीक हैं। इन तकनीकों के जरिए 90 फीसदी तक नाक की बनावट में सुधार संभव है।

नई तकनीक से जल्दी भरेगा घाव

विभाग के प्रो। अंकुर भटनागर एवं प्रो। अनुपमा सिंह ने बताया कि नेगेटिव प्रेशर वुंड थेरेपी के जरिए घाव को जल्दी ठीक किया जा सकता है। इस थेरेपी में एक मशीन के साथ नेगेटिव प्रेशर घाव पर दिया जाता है। जिससे घाव से संक्रमण व पस बाहर आ जाता है। जिसके चलते ब्लड सर्कुलेशन नार्मल हो जाता है। सामान्य ड्रेसिंग से यदि घाव एक महीने में भरता है तो इस थेरेपी से 14 से 15 दिन में भर जाता है। जिससे मरीजों को बड़ी राहत मिलती है।