लखनऊ (ब्यूरो)। गोमती नदी लखनऊ शहर की लाइफलाइन है, जो सदियों से शहर की प्यास बुझाती रहती है। मौजूदा समय में गोमती गंदगी से पटी पड़ी है। रोज पूरे शहर की गंदगी गोमती में झोंकी दी जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अनट्रीटेड सीवेज फीकल का सीधे गोमती में गिरना, डिसॉल्व ऑक्सीजन का लगातार कम होते रहने से गोमती डेड रिवर में तब्दील होती जा रही है। उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने अप्रैल महीने में गोमती के पानी की स्थिति को जानने के लिए सैम्पलिंग की थी, इस सैम्पल के बाद के जो आंकड़े सामने आए वे बेहद चिंताजनक हैं।

पिपराघाट व मोहन मीकिन में डिसॉल्विंग ऑक्सीजन बेहद कम

उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने एनडब्ल्यूएमपी परियोजना के तहत नदियों व अन्य जल स्रोत की जलगुणवत्ता की जांच की। इस जांच में यूपीपीसीबी ने लखनऊ में गोमती का सैम्पल अपस्ट्रीम लखनऊ, गऊघाट अपस्ट्रीम, गऊघाट डाउनस्ट्रीम, मोहन मीकिन अपस्ट्रीम, मोहन मीकिन डाउनस्ट्रीम, पिपराघाट अपस्ट्रीम, पिपराघाट डाउनस्ट्रीम व डाउनस्ट्रीम लखनऊ से सैम्पल कलेक्ट किए। इन सभी जगहों पर सबसे कम डिसॉल्विंग ऑक्सीजन पिपराघाट अपस्ट्रीम व डाउनस्ट्रीम में क्रमश: 1.9 व 1.6 मिग्रा प्रति लीटर रहा। यह बेहद कम है। इसके अलावा मोहन मीकिन अपस्ट्रीम व डाउनस्ट्रीम में भी डिसॉल्विंग ऑक्सीजन का स्तर 2.5 व 2.10 मिग्रा प्रति लीटर रहा, जबकि स्वस्थ आंकड़ा 6.5 से 8 मिग्रा प्रति लीटर के बीच होना चाहिए। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि नदियों में डिसॉल्विंग ऑक्सीजन का स्तर 4 मिग्रा प्रति लीटर से कम नहीं होना चाहिए।

बीमार कर सकता है गोमती का पानी

यूपीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, गोमती नदी में टोटल कोलिफॉर्म की मात्रा बहुत अधिक है। यह लखनऊ के मोहन मीकिन अपस्ट्रीम में टोटल कोलिफॉर्म की रेंज 1.10 लाख एमपीएन प्रति 100 एमएल है। पिपराघाट व डाउनस्ट्रीम लखनऊ में टोटल कोलिफॉर्म की स्थिति चिंताजनक है। एक्सपर्ट कहते हैं कि कोलिफॉर्म की अधिक मात्रा बीमारियों को दावत देने का संकेत है। जिस तरह गोमती नदी में टोटल फीकल बढ़ा है, इससे यही पता चलता है कि इसका पानी लोगों को बीमार बना सकता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि 761 मिलियन लीटर पर डे एमएलडी में से महज 438 एमएलडी लीटर सीवेज वेस्ट ही ट्रीट होता है, बाकी बचा हुआ सीवेज वाटर सीधे नदी में गिरता है।

आंकड़े देखें

अपस्ट्रीम लखनऊ

डीओ: 6.50

बीओडी: 3.40

टोटल कोलिफॉर्म: 6100

फीकल कोलिफॉर्म: 4000

गऊघाट अपस्ट्रीम

डीओ: 6.60

बीओडी: 3.40

टोटल कोलिफॉर्म: 6100

फीकल कोलिफॉर्म: 4000

गऊघाट डाउनस्ट्रीम

डीओ: 6.30

बीओडी: 3.60

टोटल कोलिफॉर्म: 6800

फीकल कोलिफॉर्म: 4500

मोहन मीकिन अपस्ट्रीम

डीओ: 2.50

बीडीओ: 8.40

टोटल कोलिफॉर्म: 93000

फीलक कोलिफॉर्म: 68000

मोहन मीकिन डाउनस्ट्रीम

डीओ: 2.50

बीडीओ: 9.20

टोटल कोलिफॉर्म: 110000

फीकल कोलिफॉर्म: 78000

पिपराघाट अपस्ट्रीम

डीओ: 1.90

बीओडी: 11.40

टोटल कोलिफॉर्म: 160000

फीकल कोलिफॉर्म: 94000

पिपराघाट डाउनस्ट्रीम

डीओ: 1.60

बीओडी: 12

टोटल कोलिफॉर्म: 170000

फीकल कोलिफॉर्म: 110000

डाउनस्ट्रीम लखनऊ

डीओ: 1.50

बीओडी: 12

टोटल कोलिफॉर्म: 170000

फीकल कोलिफॉर्म: 110000

किस तत्व से क्या होता है?

डीओ: पानी में ऑक्सीजन स्तर बताता है। डीओ कम होने से पानी में ऑक्सीजन की कमी होती है, जिसको पीना नुकसानदायक है।

बीओडी: माइक्रोब्स को तोडऩे का काम करता है। बीओडी का स्तर बढऩे से जलीय जीव व पौधे की ग्रोथ पर असर पड़ता है।

टोटल कोलीफॉर्म व फीकल कोलीफॉम: नदी में इसका जल स्तर बढऩे से पानी में प्रदूषण का पता चलता है। साथ ही इनका स्तर बढऩे से पानी बीमार कर सकता है।

कितनी मात्रा होनी चाहिए आइडियल

पीने के पानी में 10 से 50 एमजी प्रति लीटर डीओ, 1 से 2 एमजी प्रति लीटर बीडीओ टोटल कोलिफॉर्म 100 एमपीएन प्रति 100 एमएल और फीकल कोलिफॉर्म 3 प्रति 100 एमएल होना चाहिए।

माधोटांडा से गोमती 950 किमी की दूरी तय करके गंगा में मिलती है। इतनी दूरी में पल्यूशन का स्तर अलग-अलग है। ऐसे में यह पता चलता है कि गोमती का प्रदूषण स्थानीय कारणों पर निर्भर है। लखनऊ में इंडस्ट्रियल व डोमेस्टिक वेस्टेज को ट्रीट करना जरूरी है, क्योंकि इसका पानी पीने के लिए इस्तेमाल होता है। गोमती के प्रदूषण को अनदेखा नहीं किया जा सकता। प्रदूषण से पानी का बहाव कम होने लगता है और उससे क्ले जमा हो जाता है। एक तो इससे नदी में ग्राउंड वाटर नहीं आ पाता, दूसरा इससे विषाक्त कण भी क्ले में आ जाते हैं और पानी के कंटामिनेटेड होने की संभावना बढ़ जाती है।

-प्रो। ध्रुव सेन सिंह, पर्यावरणविद