- लखनऊ का देश में पहले था 33वां स्थान

- काम की रफ्तार सुस्त होने से रह गई कसर

- एरिया बेस्ड डेवलपमेंट में बरकरार रही ढिलाई

LUCKNOW(12 Dec): स्मार्ट सिटी की रैं¨कग में लखनऊ ने आठ अंकों की छलांग लगाते हुए देश में 25वां स्थान हासिल किया है। पहले शहर 33वें स्थान पर था। स्वच्छता के मामले में हमारी स्थिति काफी सुधरी है लेकिन, विकास कार्यो की रफ्तार सुस्त रह गई। चाहे सीवर लाइन हो या फिर एरिया बेस्ड डेवलपमेंट। यानी साफ है, राजधानी को वाकई स्मार्ट सिटी के रूप में बदलना है तो हर मोर्चे पर बेहतर काम करने होंगे।

अभी लखनऊ के 25वें स्थान पर अटके होने के पीछे कई कारण हैं। उदाहरण के लिए, 813 एकड़ क्षेत्र में ट्रंच लाइन डालकर बिजली के तारों को भूमिगत करना था। घर-घर पेयजल की लाइन बिछानी थी। पानी के मीटर लगाए जाने थे, जो कागजों तक ही सीमित हैं। वहीं, स्मार्ट रोड का सपना भी अधूरा है।

हर साल मिल रहे दो सौ करोड़

स्मार्ट सिटी लिमिटेड लखनऊ के तहत हर साल केंद्र व राज्य सरकार से सौ-सौ करोड़ रुपये मिल रहे हैं। बावजूद इसके विकास कार्यो की सुस्ती का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि स्मार्ट सिटी के खाते में आज भी चार सौ करोड़ रुपये शेष हैं। काम की जो रफ्तार है, उस लिहाज से जल्दी उनके पूरे होने की संभावना नहीं दिख रही है। भूमिगत पार्किग को जीपीएस से जोड़ने के साथ ही कैसरबाग चौराहों का सुंदरीकरण अभी तक अटका है। अमीरुद्दौला लाइब्रेरी का डिजिटिलाइजेशन भी अधूरा है। कमांड कंट्रोल रूम भले बनकर तैयार है, लेकिन उद्घाटन आज तक नहीं हुआ। न ही एक छत के नीचे जनता की शिकायतें दूर होने का सिलसिला शुरू हो सका है।