इशारों में विरोधियों पर स्मृति ने जमकर बोला हमला

कहा, भारत की मांग मानने वाला ही शिक्षित , टुकड़े करने की बात वाला नहीं

- भारतीय शिक्षा पद्धति में राष्ट्रदर्शन विषय पर बोली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी

- विरोधी लगाते हैं संस्कृति का गुणगान और शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

LUCKNOW: भारत की मांग मानने वाला ही शिक्षित कहा जाएगा, टुकड़े करने की बात करने वाला कतई नहीं। भारतीय शिक्षा पद्धति मनुष्य का निर्माण करती है और ऐसा नागरिक तैयार करती है, जिसमें राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव होता है। यह बात केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कही। वह शुक्रवार को यूथ इन एक्शन की ओर से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 'भारतीय शिक्षा पद्धति में राष्ट्रदर्शन' विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान बोल रही थीं।

आप ही बताइये, क्या वें शिक्षित हैं

स्मृति ईरानी ने बिना नाम लिए जेएनयू प्रकरण की ओर इशारा करते हुए लोगों से पूछा कि आप ही बताइए, भारत के टुकड़े करने वाला शिक्षित है या जननी जन्मभूमि की अवधारणा मानने वाला है। क्या ऐसा करने वाले भारतीय शिक्षा पद्धति से परिचित होंगे या जो भारत को माता के रूप में पूजते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे उद्देश्य को लेकर दी जाने वाली शिक्षा ही समाज को एकसूत्र में बांधती है। देश को विकास पथ पर अग्रसर करती है। विरोधियों पर चुटकी लेते हुए स्मृति ने कहा कि समाज के कुछ इंटेक्चुअल लोग मुझे संस्कृति का गुणगान करने वाला कहते हैं। यहां तक एक गुट शिक्षा के भगवाकरण करने का आरोप तक लगाता है। शायद इन्हें भारतीय शिक्षा पद्धति का ज्ञान ही नहीं है। अब आप ही बताइए, शिक्षित कौन?

तो दिल्ली जरूर दहली होगी

कार्यक्रम के शुरू व बीच में भारत माता की जय व वंदे मातरम के उदघोष करने पर स्मृति ईरानी ने कहा कि यहां पर लगे नारों ने दिल्ली में बैठे आपकी तरह उन लोगों के दिल को दहलाया होगा, जो भारत माता की जय न बोलकर इसी के टुकड़े करने की बात कहते हैं।

बिजली कटने पर साधा सपा पर निशाना

स्मृति ईरानी के भाषण के दौरान तकरीबन तीस सेकंड के लिए बिजली गुल हो गई। इससे सभागार में अंधेरा छा गया। जैसे ही बिजली वापस आई स्मृति ईरानी सपा सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं चूकीं। उन्होंने कहा कि कहा कि हमने सोचा था कि यह नजारा चुनाव के दौरान देखने को मिलेगा। लेकिन इसका शंखनाद तो अभी से हो गया।

महिला असुरक्षा पर की छात्रों से अपील

स्मृति ईरानी ने छात्रों से महिला समस्या पर खुल कर बात की। उन्होंने महिलाओं और लड़कियों की समस्याओं से जुड़े संस्मरण सुनाकर उनमें भावनायें जगाने की कोशिश भी किया। उन्होंने महाराष्ट्र के भीड़ जिला से जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हुए एक ऐसे डॉक्टर के संस्मरण को सुनाया जो भ्रूण हत्या करता था और उसे बाहर फेंकने की बजाय कुत्तों को खिलाता था। उनके द्वारा सुनाई जाने वाली घटना के दौरान पूरा सभागार शांत था। उन्होंने कहा कि क्या ऐसे लोगों को शिक्षित माना जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने दूसरा किस्सा सुनाया। जिसमें एक ऐसी महिला के बारे में भी बताया जो पुत्री होने पर परिवारीजनों से प्रताडि़त की गई। लेकिन बेटी के लिए अपने परिवार वालों के विरुद्ध आवाज उठाना मुनासिब समझा। उन्होंने इन संस्मरणों से युवाओं को महिलाओं के प्रति आदर भाव रखने का सबक दिया तो छात्राओं को अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने की सीख दे गईं।