अमित शाह के दौरे पर सबसे अधिक चर्चा रही

संसद में दिये जवाब ने कार्यकर्ताओं में भरा जोश

यूपी में बतौर सीएम प्रोजेक्ट करने की संभावना बढ़ी

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के दौरान भाजपा मुख्यालय में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की ही चर्चा रही। बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा में रोहित वेमुला और जेएनयू प्रकरण पर स्मृति ईरानी द्वारा विपक्ष का दिये गये करारे जवाब की चंद पंक्तियां हर भाजपा कार्यकर्ता की जुबान पर थे। तमाम नेता और कार्यकर्ता उन्हें यूपी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तक बताने में नहीं चूके। खासकर महिला कार्यकर्ताओं में स्मृति ईरानी को लेकर खासा उत्साह देखा गया। कई महिलाओं ने 'स्मृति को भेजो यूपी' के नारे भी लगाये।

सोशल मीडिया पर भी वायरल

स्मृति ईरानी का विपक्ष खासकर बसपा सुप्रीमो मायावती को दिया गया जवाब सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है। बीते चौबीस घंटों के भीतर यू-टयूब पर इसे 5,82,869 बार देखा जा चुका है। इसके अलावा तमाम अन्य माध्यमों से भी इसे लाखों लोग लगातार देख रहे है। मायावती से राज्यसभा में हुई नोकझोंक का यूपी की सियासत पर असर दिखना शुरू भी हो गया है। भाजपा मुख्यालय में इसे लेकर कार्यकर्ता आपस में चर्चा करते दिखे। दरअसल अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ने के दौरान स्मृति ईरानी ने यूपी में अपनी एक पहचान बना ली थी। कहना गलत न होगा कि यूपी के कई कद्दावर नेताओं के मुकाबले उन्होंने खुद को काफी मजबूत स्थिति में स्थापित किया है। इन हालात में अगर उन्हें यूपी में सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तो हैरत की बात नहीं होगी।

यूपी में भाजपा के संभावित दावेदार

अमित शाह ने यूपी में बहुमत की सरकार बनाने का दावा किया तो सवाल उठा कि आखिर सीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा। आई नेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि स्मृति ईरानी के अलावा तीन अन्य नेता भी सीएम पद के उम्मीदवार बन सकते हैं। पेश है चारों का आकलन।

स्मृति ईरानी

बैकग्राउंड- एक्टर से राजनेता बनीं। राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी में चुनाव लड़ा।

कमजोरी- विपक्ष के निशाने पर ज्यादा। डिग्रियों को लेकर विवाद अभी जारी।

मजबूती- राष्ट्रीय नेतृत्व की पहली पसंद, कई मामलों में खुद लिया मोर्चा। महिला दावेदार के तौर पर अलग पहचान

डॉ। दिनेश शर्मा

बैकग्राउंड- लखनऊ युनिवर्सिटी में हिंदी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर से राजनेता बने।

कमजोरी- यूपी में ज्यादा लोकप्रिय नहीं। ज्यादा जनाधार व कुशल नेता वाले गुण नहीं।

मजबूती- केन्द्रीय नेतृत्व के करीबी। साफ सुथरी छवि सीएम दावेदार बनने में सहायक।

योगी आदित्यनाथ

बैकग्राउंड- गोरक्षनाथ पीठ के उत्तराधिकारी। लंबे समय से राजनीति में।

कमजोरी- कट्टर हिंदूवादी छवि। सिर्फ पूर्वी उप्र में लोकप्रिय। केन्द्रीय नेतृत्व के नजदीकी नहीं।

मजबूती- भाजपा के स्टार प्रचारक, समर्थक ज्यादा। संसद में भी सक्रिय रहते हैं।

वरुण गांधी

बैकग्राउंड- गांधी परिवार के। सुल्तानपुर से सांसद।

कमजोरी- विवादित बयान देने में माहिर। ज्यादा जनाधार नहीं। केन्द्रीय नेतृत्व भी नाराज।

मजबूती- पार्टी का सबसे युवा चेहरा। हिंदूवादी छवि भाजपा के लिए मुफीद।