लखनऊ (ब्यूरो)। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत शनिवार 15 जुलाई को संगीत उत्सव का आयोजन लखनऊ के गोमती नगर स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के ऑडिटोरियम में किया गया। उसमें आलोक पांडेय के लोक गायन, रजनी वर्मा और भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की प्रभावी कथक प्रस्तुतियां हुईं, इसमें मुख्य अतिथि भातखंडे की वीसी प्रो। मांडवी सिंह रही।

प्रस्तुतियों ने मोहा मन

इस संगीत उत्सव में भातखंडे के नृत्य विभाग की ओर से भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की कविता 'क्या खोया क्या पाया' पर छवि गुप्ता, प्रियांशु मिश्रा, वैभवी मिश्रा और मिल्की गुप्ता ने अभिनयात्मक प्रस्तुति डॉ। रुचि खरे के निर्देशन में दी। इस क्रम में जंग न होने देंगे पर हिमांशु शुक्ला और अंशिमा चौधरी ने भाव प्रधान कथक प्रस्तुति पं। राममोहन महाराज के प्रभावी निर्देशन में दी गई। डॉ। रंजना द्विवेदी और कमलेश दुबे के निर्देशन हे मां भारती, अपनी सांसों से करूं, मैं मां तेरी आरती की प्रभावी प्रस्तुति के बाद रंग बसंती है हमारी सर पे बांधे पागडियां गायन की मधुर प्रस्तुतियां हुई। वहीं, आलोक पांडेय गोपाल ने आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न को देखते हुए खासतौर से देशभक्ति से ओतप्रोत गीत दुनिया का सिरमौर हो भारत और मोरा प्राण बसे हिमखोह रे बटोहिया सुनाया। इसके बाद उन्होंने सावन ऋतु अनुकूल कजरी अरे रामा रिमझिम सुनाकर तालियां बटोरीं। उनका साथ गायन पर तबले में पं। बलराम मिश्रा, ढोलक पर वीरेंद्र वीरू, बैंजो पर पप्पू, पैड पर वीरेंद्र कुमार और कीबोर्ड पर पंकज ने दिया।

कथक ने जमाया रंग

कार्यक्रम की अगली कड़ी में कथक नृत्यांगना रजनी वर्मा के निर्देशन में शहीदों को नमन की विशेष प्रस्तुति दी गई। इसमें उन्होंने सबसे पहले मातृ भूमि की वंदना पेश की जिसमें उन्होंने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता भारती जय विजय करें पर सुंदर नृत्य देखने को मिला। इस क्रम में कलाकारों ने बिस्मिल की लिखी गजल सरफरोशी की तमन्ना पर जोशीला नृत्य कर प्रशंसा हासिल की।