लखनऊ (ब्यूरो)। पोंगल हिंदुओं का एक बड़ा त्योहार है, जो खासतौर पर दक्षिणी राज्य केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि में बेहद श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन से तमिल समाज का नव वर्ष भी आरंभ होता है। पोंगल पर्व इसबार 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। यह उत्सव चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन का अपना महत्व है। यह पर्व फसल काटने के बाद भगवान के प्रति आभार प्रकट करने के लिए खासतौर पर मनाया जाता है।

चार दिवसीय पोंगल उत्सव

दक्षिण भारतीयों द्वारा पोंगल पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन बोगी पोंगल पर इंद्र देव की पूजा की जाती है। दूसरे दिन, सूर्य पोंगल पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है। तीसरा दिन माट्टु पोंगल के दिन कृषि पशुओं की पूजा की जाती है, जबकि चौथे और अंतिम दिन को कन्या पोंगल कहा जाता है।

मंदिरों में विशेष आयोजन

लार्ड अयप्पा सर्विस सोसाइटी के जनरल सेक्रेट्री ओमन कुट्टन एनके ने बताया कि मलयाली समाज के लोग इस दिन को मकर ज्योती पूजा महोत्सव के नाम से मनाते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष आयोजन किया जाता है, जिसके तहत सुबह 5 बजे विशेष पूजा होती है। इसके साथ ही शाम को मंदिर को दियों से रौशन किया जाएगा और शोभा यात्रा भी निकाली जायेगी। वहीं, मंदिर में आने वाले भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाएगा।

घरों में विशेष तैयारियां

पोंगल को लेकर घरों में लोग विशेष तैयारी करते हैं। इस दिन घरों को पत्तों से सजाने के साथ खूबसूरत रंगोली भी बनाई जाती है। समाज के लोग खासतौर पर सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं, जोबेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं, जिसे भोग लगाने के बाद परिजनों में वितरित किया जाता है। इस दिन खासतौर पर चावल, मूंग दाल और गुड़ की खीर बनाई जाती है। इसके अलावा चावल और दाल के मिले-जुले कई अन्य पकवान बनाये जाते हैं।