लखनऊ (ब्यूरो)। अब रीढ़ की हड्डी को सीधा करने के लिए मरीज की पीठ पर लंबा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पेट के रास्ते आसानी से रीढ़ की हड्डी को पेट के रास्ते आसानी से सीधा किया जा सकेगा। इसके लिए लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग में अमेरिका की एडल्ट स्पाइन डिफॉरमेटी विद एंटीरियर लंबर इंटर बॉडी फ्यूजन तकनीक से ऑपरेशन शुरू हो गया है। डॉक्टर्स के मुताबिक इस तकनीक से दो मरीजों की सफल सर्जरी की जा चुकी है।

मरीज जल्द हो जाता है ठीक

न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ। राकेश सिंह के मुताबिक अभी ऑपरेशन में पीठ में लंबा चीरा लगाना पड़ता था। उसके बाद हड्डी को सीधा करने के लिए इम्प्लांट लगाया जाता था। नई तकनीक की मदद से अब पेट में नाभि के नीचे हिस्से में सात से 10 सेंटीमीटर का चीरा लगाने की जरूरत पड़ती है। उसके बाद जिस हड्डी में समस्या है वहां तक पहुंचकर इप्लांट लगाया जाता है। इसका दूसरा बड़ा फायदा यह है कि इससे संक्रमण का खतरा बेहद कम हो जाता है। और सर्जरी के बाद मरीज अगले दिल ही चलने-फिरने के लायक हो जाता है। उन्होंने यूके से एएलआईएफ तकनीक से सर्जरी की करीब एक साल तक ट्रेनिंग ली है। जिसके बाद अब संस्थान में इसकी शुरुआत हुई है। उनकी टीम में यूरोलॉजी विभाग के डॉ। संजीत, डॉ। विपिन, डॉ। कृष्णा और एनस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ। समीक्षा शामिल हैं।

देरी से बढ़ जाती है समस्या

न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ। राकेश सिंह के मुताबिक रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन की परेशानी को मेडिकल साइंस की भाषा में लिस्थेसिस विद स्पाइनल डिफॉरमेटी कहते हैं। इस बीमारी से पीडि़त मरीज शुरू में ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन, 15 से 20 साल बाद बीमारी गंभीर रूप लेना शुरू कर देती है। जिसकी वजह रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने से आगे की ओर झुकना, चलने-फिरने में दिक्कत समेत अन्य कामों में समस्या होने लगती है। ऐसे में आखिरी उपाय सर्जरी ही बचती है। ऐसे में लोगों को समय रहते अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।